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Up Kiran, Digital News: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान दो और देश भारतीयों की सहायता के लिए आगे आए हैं। इस युद्ध में पाकिस्तान की मदद किसने की थी? हमारा एक पड़ोसी चीन है और दूसरा तुर्की है।

तुर्की से भारत में कई सामान आयात किये जाते हैं। लेकिन, अब सोशल मीडिया पर बायकॉट तुर्की अभियान ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि तुर्की ने दुश्मन की मदद की है।

इस अभियान का प्रभाव भारत में तुरंत दिखाई दे रहा है। इक्सिगो और ईजमाईट्रिप जैसे कई ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म ने तुर्की के लिए उड़ान और होटल बुकिंग बंद कर दी है। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। भारतीय व्यापारियों ने भी तुर्की से आने वाले सेबों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप, तुर्की सेब अब बाजार से लगभग गायब हो गये हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी हैशटैग बॉयकॉट तुर्की ट्रेंड कर रहा है। इसमें लोग खुलकर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि भारत ने मुश्किल वक्त में तुर्की का साथ दिया मगर जब जरूरत थी तो तुर्की साथ नहीं था।

तुर्की से सेब के बहिष्कार के बाद ईरान से सेब की मांग बढ़ गई है। इसके चलते 10 किलो सेब के थोक भाव में 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। इसी तरह खुदरा बाजार में भी सेब 20 से 30 रुपये महंगा हो गया है। भारतीय व्यापारी अब तुर्की के बजाय ईरान, वाशिंगटन और न्यूजीलैंड के सेबों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

खनिज तेल और ईंधन, मशीनरी, बॉयलर और उनके भाग, नमक, प्लास्टर सामग्री (जैसे संगमरमर), अकार्बनिक रसायन, कीमती पत्थर और धातु, फल और मेवे (सेब, चेरी, हेज़लनट्स) तुर्की से भारत में आयात किए जाते हैं।

खाद्य पदार्थ (बकलावा, हेज़लनट्स, जैतून का तेल, आदि), वस्त्र और परिधान (कॉटन, एलसी वाइकिकी जैसे तुर्की ब्रांड भारत में लोकप्रिय हैं) आदि वस्तुएं तुर्की से आयात की जाती हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने अपने सेबों का 50% अतिरिक्त आयात तुर्की से किया था।

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