
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस वर्मा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प और तीखा मोड़ देखने को मिला। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, “CJI कोई पोस्ट ऑफिस नहीं हैं।” कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब सिब्बल ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश को सिर्फ याचिका आगे बढ़ाने की भूमिका निभानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में मुख्य न्यायाधीश को सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करना था। इस पर बेंच ने सख्त लहजे में कहा कि, "क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि CJI महज एक पोस्ट ऑफिस की तरह हैं?" कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका न सिर्फ प्रशासनिक है, बल्कि न्यायिक विवेक का भी इस्तेमाल जरूरी होता है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि इस मामले को बार-बार कोर्ट में क्यों लाया जा रहा है जबकि पहले ही इस पर आदेश जारी किए जा चुके हैं। साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह न्यायपालिका की गरिमा से जुड़ा मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
इस पूरे प्रकरण में कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया है कि न्यायपालिका की स्वतन्त्रता और CJI की भूमिका पर सवाल उठाना उचित नहीं है। अब अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है और याचिकाकर्ता से संतोषजनक जवाब की उम्मीद की जा रही है।
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