
Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को बॉलीवुड फिल्म "केसरी चैप्टर 2" के निर्माताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने फिल्म पर बंगाली क्रांतिकारी खुदीराम बोस का नाम गलत तरीके से "खुदीराम सिंह" दिखाने का आरोप लगाया है। यह आलोचना तब सामने आई जब बनर्जी ने महान स्वतंत्रता सेनानी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके अनुसार, यह ऐतिहासिक तथ्यों का विकृतिकरण न केवल बंगाली भाषा पर हमला है, बल्कि उन अनगिनत लोगों का अपमान भी है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
भाषा के आतंकवादी" खुदीराम बोस के नाम पर भी हावी?
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, ममता बनर्जी ने सवाल उठाया, "हाल ही में, एक हिंदी फिल्म में, क्रांतिकारी खुदीराम को 'सिंह' कहा गया। जो स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए, उनका अपमान क्यों किया जा रहा है? क्या भाषा के आतंकवादी अमर क्रांतिकारी खुदीराम पर भी हावी हो जाएंगे?" यह सीधा सवाल उन लोगों पर है जो ऐतिहासिक हस्तियों के नामों को बदल रहे हैं, जिससे बंगाल के गौरवशाली इतिहास को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
केसरी चैप्टर 2" विवाद: FIR से लेकर राष्ट्रीय आक्रोश तक
यह विवाद तब बढ़ा जब अक्षय कुमार अभिनीत "केसरी चैप्टर 2" में खुदीराम बोस को "खुदीराम सिंह" के रूप में संदर्भित किया गया। जून में, फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ बिधन्नगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी, जिसमें पश्चिम बंगाल की ऐतिहासिक हस्तियों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में फिल्म पर खुदीराम बोस को "खुदीराम सिंह" के रूप में और बारिंद्र कुमार घोष को अमृतसर के "बिरेंद्र कुमार" के रूप में गलत तरीके से चित्रित करने का आरोप लगाया गया था। यह बॉलीवुड फिल्मों में ऐतिहासिक विकृतियों का एक और उदाहरण है जो दर्शकों के मन में भ्रम पैदा कर सकता है।
देश के सबसे युवा स्वतंत्रता सेनानी को बताया पंजाब का बेटा!
देश के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, खुदीराम बोस, को 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर बम मामले में उनकी भूमिका के लिए 18 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी। ममता बनर्जी ने इस ओर भी इशारा किया कि बंगाल के इस लाल को फिल्म में पंजाब का बेटा दिखाया गया है। उन्होंने कहा, "हमारे मिदनापुर के अदम्य किशोर को पंजाब का बेटा दिखाया गया है। यह असहनीय है! लेकिन हमने हमेशा इस व्यक्ति को श्रद्धांजलि दी है, जो देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है।" यह बंगाल के क्रांतिकारी इतिहास को मिटाने का एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
सरकार की पहल: खुदीराम बोस की विरासत को सहेजने का प्रयास
ममता बनर्जी ने अपने सरकार की उन पहलों को भी उजागर किया जो खुदीराम बोस की विरासत को संरक्षित करने के लिए की जा रही हैं। इसमें खुदीराम बोस के जन्मस्थान महाबानी और उसके आसपास के क्षेत्रों का विकास शामिल है। उन्होंने बताया, "खुदीराम बोस की जयंती से जुड़े महाबानी और आस-पास के क्षेत्रों के आगे के विकास के लिए, महाबानी विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई है। इसके अलावा, महाबानी में शहीद खुदीराम की प्रतिमा स्थापित करने, पुस्तकालय का जीर्णोद्धार, एक नया विशाल सभागार, सम्मेलन कक्ष बनाने जैसे सभी काम किए गए हैं। एक खुला मंच भी स्थापित किया गया है। इसके अतिरिक्त, आगंतुकों के लिए आधुनिक कॉटेज बनाए गए हैं, और पारंपरिक खुदीराम पार्क को पुनर्जीवित किया गया है। पूरे क्षेत्र को रोशनी से सजाया भी गया है।" यह कदम बंगाल के नायकों के प्रति राज्य सरकार के सम्मान को दर्शाता है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल का योगदान:यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालती है, जिसमें कई युवा क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। खुदीराम बोस जैसे नायकों की कहानियों को सही ढंग से प्रस्तुत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके बलिदानों को याद रख सकें। बॉलीवुड फिल्मों से यह उम्मीद की जाती है कि वे राष्ट्रीय गौरव का सम्मान करेंगी और ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगी।
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