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Up Kiran , Digital Desk: पांच बार की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए इंडियन प्रीमियर लीग 2025 का सीजन अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। प्लेऑफ की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकी इस अनुभवी टीम के डगआउट में मायूसी है और इसकी पुष्टि खुद हेड कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने हाल ही में की। उन्होंने कहा "एक खराब सीज़न ने सभी को हिला दिया है।" ये शब्द उस टीम से आ रहे हैं जिसने IPL में सफलता की एक स्थायी मिसाल कायम की है।
प्रदर्शन में गिरावट तालिका में सबसे नीचे
जहां CSK हमेशा प्लेऑफ और खिताबी लड़ाई का हिस्सा रही है इस बार टीम अंक तालिका में निचले पायदान पर है। स्टीफन फ्लेमिंग ने स्वीकार किया कि इस बार टीम रणनीतिक तौर पर पिछड़ी है। उन्होंने कहा "यह फॉर्म हो चयन हो या फिर हमारे प्लान — कई चीजें एक साथ काम नहीं कर पाईं।" लेकिन उन्होंने यह भी दोहराया कि CSK की पहचान सिर्फ खिताब जीतने से नहीं बल्कि “युवाओं को मौका देने और अनुभव से संतुलन बनाने” की अपनी विरासत से बनती है।
युवा सितारे: म्हात्रे ब्रेविस और उर्विल की दस्तक
टीम में बदलाव मजबूरी बन गई खासकर कप्तान रुतुराज गायकवाड़ की चोट के बाद। नतीजतन युवाओं को मौका मिला और वे छा गए। आयुष म्हात्रे डेवाल्ड ब्रेविस और उर्विल पटेल जैसे नामों ने निडर क्रिकेट खेलते हुए टीम को नई ऊर्जा दी।
फ्लेमिंग बोले “इन युवाओं ने न सिर्फ रन बनाए बल्कि मैच के दौरान टीम की बॉडी लैंग्वेज बदल दी। भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और ये खिलाड़ी उसका प्रमाण हैं।”
अनुभव की अहमियत बरकरार
हालांकि युवा चेहरों ने खुद को साबित किया फ्लेमिंग अनुभव के महत्व से पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा “दबाव में अनुभव ही काम आता है। टूर्नामेंट जीतना हो तो आपको सीनियर्स की ज़रूरत होती है।” CSK की रणनीति हमेशा से 30 की उम्र पार कर चुके खिलाड़ियों पर भरोसा करने की रही है — और यही ट्रेंड इस सीजन भी दिखा।
धोनी के भविष्य पर क्यो बोले कोच
एमएस धोनी की भूमिका और भविष्य को लेकर सवाल बने हुए हैं। बल्लेबाजी क्रम में उनकी सीमित भूमिका और रुतुराज की गैरमौजूदगी में कप्तानी संभालना — इन सबने अटकलों को हवा दी। जब फ्लेमिंग से पूछा गया कि क्या धोनी अगले सीजन में नजर आएंगे तो उनका जवाब था: “मुझे नहीं पता।”
हालांकि CSK ने धोनी को इस सीजन 4 करोड़ रुपये में अनकैप्ड खिलाड़ी के तौर पर रिटेन किया था। और ड्रेसिंग रूम में उनकी मौजूदगी नेतृत्व और शांति का असर आज भी बरकरार है। फ्लेमिंग कहते हैं “इस तरह के खिलाड़ी मुश्किल समय में टीम को संभालते हैं भले ही मैदान पर उनका योगदान सीमित हो।”
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