_1161494090.png)
Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) को रिटायरमेंट के कितने समय बाद तक सरकारी आवास में रहने की इजाजत होती है? हाल ही में इस सवाल ने तब जोर पकड़ा, जब पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से सुप्रीम कोर्ट ने खुद उनका सरकारी बंगला खाली करने की अपील कर दी।
दरअसल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन आठ महीने बाद भी वे दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 में रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने अब उन्हें पत्र भेजकर यह बंगला तुरंत खाली करने का अनुरोध किया है।
‘नियम क्या कहते हैं?’
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम 2022 में स्पष्ट है कि सेवानिवृत्त सीजेआई को रिटायरमेंट के अधिकतम छह महीने बाद तक ही उसी स्तर के सरकारी आवास में रहने की अनुमति होती है। इसके बाद उन्हें टाइप VII श्रेणी का बंगला दिया जा सकता है, जबकि फिलहाल जस्टिस चंद्रचूड़ टाइप VIII श्रेणी के बंगले में रह रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय को पत्र भेजकर साफ कहा कि नियमों के अनुसार बंगला अब कोर्ट प्रशासन के लिए जरूरी है और इसे तुरंत खाली कराया जाना चाहिए। बताया जा रहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कुछ अतिरिक्त दिनों की मोहलत मांगी थी, जिसे तत्कालीन सीजेआई ने मान भी लिया था। हालांकि यह भी साफ कर दिया गया था कि इसके बाद अब कोई और रियायत नहीं दी जाएगी।
‘बंगला क्यों नहीं छोड़ा?’
तो सवाल उठता है कि पूर्व सीजेआई अब तक वहीं क्यों रह रहे हैं? खुद जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक, सरकार ने उन्हें जो नया सरकारी आवास अलॉट किया है, उसमें अभी भी मरम्मत का काम जारी है। उनका कहना है कि अगले दो से तीन हफ्तों में मरम्मत पूरी होते ही वे नए आवास में शिफ्ट हो जाएंगे। मंत्रालय की ओर से उन्हें लाइसेंस फीस के साथ 11 दिसंबर 2024 से 30 अप्रैल 2025 तक टाइप VIII श्रेणी का बंगला अलॉट किया गया था, लेकिन उसकी अवधि भी अब समाप्त हो चुकी है।
‘आगे क्या होगा?’
अब देखना दिलचस्प होगा कि मरम्मत कार्य समय पर पूरा होता है या नहीं और क्या पूर्व सीजेआई तय वक्त में नए बंगले में शिफ्ट हो पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पत्र के बाद अब यह मामला एक मिसाल बन सकता है कि सर्वोच्च पद से रिटायर होने के बाद भी नियमों का पालन कितना जरूरी है।
--Advertisement--