_1242034068.png)
Up Kiran, Digital Desk: हमारे दिमाग में अक्सर यह सवाल उठता है कि अगर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास नोट छापने की पूरी मशीनरी है, तो सरकार क्यों हर किसी को बड़ी रकम बांटकर गरीबी मिटा नहीं देती? सोचने में तो यह आइडिया ज़बरदस्त लगता है कि हर इंसान के खाते में करोड़ों रुपए आ जाएं और गरीबी-रोजगार जैसे बड़े मसले अपने आप खत्म हो जाएं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। अगर ऐसा हो जाता, तो क्या हम जिम्बाब्वे या वेनेज़ुएला जैसी आर्थिक तबाही की कहानियों से सबक नहीं लेते? आइए समझते हैं कि क्यों सरकार नोट छाप कर अमीर नहीं बनाती और इसका असर आम आदमी की जेब पर क्या पड़ता है।
नोट छापना केवल पैसे की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि आर्थिक संतुलन का मुद्दा है
सरकार के पास नोट छापने की शक्ति है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अनगिनत नोट छाप कर सभी को मालामाल कर दे। नोट सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा नहीं होता, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता की परछाई है। देश में उत्पादन यानी सामान और सेवाओं की उपलब्धता के मुताबिक ही मुद्रा का मूल्य तय होता है। अगर बाजार में नकदी की भरमार हो जाए लेकिन सामान उतना ही रहे, तो कीमतें इतनी बढ़ेंगी कि महंगाई से आम लोगों की हालत खराब हो जाएगी। बस यही मुद्रास्फीति (Inflation) है जो आम आदमी की जेब पर सीधा प्रहार करती है।
इतिहास की नज़रों से: नोट छापने से हुई तबाही
जिन देशों ने जरूरत से ज्यादा नोट छापने की कोशिश की, वहां की जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा। जिम्बाब्वे के उदाहरण को ही लें, जहां एक ब्रेड खरीदने के लिए ट्रॉलीभर नोट लेकर जाना पड़ता था। वेनेज़ुएला की हालत यह हो गई कि वहां का पैसा पेट्रोल से भी कम कीमत का हो गया। ऐसी स्थिति में केवल नोट छापना अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित होता है और आम लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
करेंसी का संतुलन कैसे बनाए रखता है RBI?
हर देश की मुद्रा उस देश की GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद के अनुरूप होती है। इसका मतलब है कि जितना सामान और सेवा का उत्पादन होगा, उसी के हिसाब से करेंसी का सर्कुलेशन होना चाहिए। RBI और सरकार मिलकर इस बात का ध्यान रखते हैं कि नोटों की संख्या इतनी हो जो अर्थव्यवस्था के लिए ठीक हो। यदि यह संख्या जरूरत से अधिक हो जाए, तो कई समस्याएं सामने आती हैं। महंगाई बढ़ती है, रुपये का अंतरराष्ट्रीय मूल्य गिर जाता है, विदेशी निवेश रुक जाता है और देश की क्रेडिट रेटिंग नीचे चली जाती है।