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Up Kiran, Digital Desk: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान में सुरक्षा बलों और राज्य सरकार को एक बड़ी सफलता मिली है। राज्य के दंतेवाड़ा जिले में 23 खूंखार नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इन सभी नक्सलियों पर कुल मिलाकर 1.18 करोड़ रुपये का ईनाम घोषित था, जो इस अभियान की गंभीरता और सफलता को दर्शाता है।

पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) और दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई वरिष्ठ कैडर के सदस्य शामिल हैं, जिन पर हत्या, अपहरण, विस्फोट और अन्य हिंसक गतिविधियों के कई मामले दर्ज थे। इन नक्सलियों का आत्मसमर्पण क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

आत्मसमर्पण नीति का असर:
अधिकारियों ने बताया कि यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की 'लोन वर्राटू' (घर वापसी) अभियान और नई आत्मसमर्पण नीति का परिणाम है। इस नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और एक सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्रदान किए जाते हैं। पुलिस ने लगातार अभियान चलाकर नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है, जिससे बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

सुरक्षा बलों की रणनीति:
सुरक्षा बल, जिनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और छत्तीसगढ़ पुलिस शामिल है, लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चला रहे हैं। ये अभियान केवल सैन्य नहीं बल्कि सामुदायिक आउटरीच और विकास कार्यों पर भी केंद्रित हैं। पुलिस और जिला प्रशासन गांवों में जाकर लोगों को नक्सलियों की हिंसा छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहा है।

हाल के महीनों में, छत्तीसगढ़ में कई बड़े नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए हैं, जिसमें कई शीर्ष नक्सलियों को मार गिराया गया है या गिरफ्तार किया गया है। इन अभियानों ने नक्सलियों के नेटवर्क को कमजोर किया है और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया है।