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Up Kiran, Digital Desk: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में जब आतंकी गोलियों की गूंज सुनाई दी तब सिर्फ पर्यटकों की चीखें नहीं बल्कि पूरे भारत का दिल कांप उठा। इस क्रूर हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और एक बार फिर देश उसी सवाल के सामने खड़ा हो गया- आख़िर कब तक।
इस बार जवाब तीखा था लेकिन संतुलित। 7 मई को भारतीय सेना ने PoK में घुसकर नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। मिसाइलों और ड्रोन हमलों के जरिए किए गए इन हमलों में लश्कर जैश और TRF जैसे संगठनों के ठिकाने ध्वस्त हुए। हैरानी की बात यह रही कि भारत की इस सर्जिकल स्ट्राइक में किसी भी पाकिस्तानी नागरिक या सेना को नुकसान नहीं पहुंचाया गया- एक स्पष्ट संकेत कि भारत युद्ध नहीं इंसाफ़ चाहता है।
चिदंबरम की प्रशंसा मोदी की रणनीति
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इस कार्रवाई को “रणनीतिक संयम” करार दिया। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उनके लेख में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की इस नीति की सराहना करते हुए याद दिलाया कि 2022 में मोदी ने पुतिन से कहा था “यह युद्ध का युग नहीं है।” यही संदेश भारत ने फिर दोहराया- धैर्य लेकिन कमजोरी नहीं।
जवाबी हमला और जवाबदेही
भारत की कार्रवाई के एक दिन बाद पाकिस्तान ने भी LoC पर गोलीबारी और ड्रोन हमले किए। हालांकि भारतीय सेना ने सटीक और मापी गई प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तान के “एक भारतीय विमान गिराने” के दावे को खुद उनके रक्षा मंत्री ही BBC इंटरव्यू में प्रमाणित नहीं कर सके- जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की स्थिति हास्यास्पद बन गई।
मोदी सरकार की नई पारदर्शिता
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने न सिर्फ तेज कार्रवाई की बल्कि पहली बार दो युवा महिला सैन्य अधिकारियों को प्रेस ब्रीफिंग में शामिल कर एक मजबूत और समावेशी संदेश दिया। हमलों के नक्शे और वीडियो सार्वजनिक किए गए जिससे सरकार की पारदर्शिता की नीति सामने आई।
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