यूपी किरण डेस्क। ताइवान को चीन के हमले का भय सत्ता रहा है। ताइवान पर आसन्न खतरे को देखते हुए अमेरिका ने वहाँ पर अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है। जानकारी के मुताबिक़ अमेरिकी विशेष बल के सैनिक स्थायी रूप से ताइवान में तैनात रहेंगे। अमेरिकन फर्स्ट स्पेशल फोर्स को द्वीप पर एक स्थायी ट्रेनिंग मिशन के लिए तैनात किया गया है। अमेरिका ने पहले भी ताइवान को प्रशिक्षण मिशन भेजे हैं। धातव्य है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही चीन ताइवान को आँखें तरेर रहा है।
वैश्विक समाचार एजेंसियों के अनुसार फर्स्ट स्पेशल फोर्स ताइवान की सेना के विशेष अभियान बल की एक बटालियन के दो ठिकानों पर तैनात की गयी है। इसके अलावा अमेरिकी सैनिकों की एक टुकड़ी किनमेन में हैं। सामरिक तौर पर अहम यह द्वीप चीन के जियामेन बंदरगाह शहर से 10 किमी की दूरी पर है। इसी तरह अमेरिकी सैनिकों का दूसरा ग्रुप ताइवान के तट पर पेस्काडोरेस द्वीप पर मौजूद है। वैश्विक राजनीति के जानकार अमेरिका के इस कदम को एक चीन नीति के खिलाफ देख रहे हैं। इससे चीन तिलमिलाया हुआ है।
जानकारी के अनुसार उत्तरी ताइवान में तैनात अमेरिकी सैनिक ताइवान की सेना को ड्रोन की ट्रेनिंग दे रहे हैं। यह ताइवान की स्पेशल फोर्स की मदद करेगा। ताइवान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी से चीन चौकन्ना हो गया है। हालांकि ताइवान में तैनात अमेरिकी सैनिकों की तादाद की सही जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन ताइवान की राष्ट्रपति पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी हैं कि अमेरिकी विशेष बल ताइवान के सैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
गत दिनों अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन मेनर्स ने कहा था कि अमेरिका ताइवान की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा था कि चीन के खतरे को देखते हुए हम ताइवान को उनका समर्थन और रक्षा संबंध है। ट्रंप और बाइडेन दोनों ही राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में ताइवान को हथियारों की बिक्री बढ़ाई गई है। इसके अलावा ट्रेनिंग देने वाले सैनिकों को भी तैनात किया है ।
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