Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच, भारत और वियतनाम अपनी रणनीतिक दोस्ती को एक नए स्तर पर ले जा रहे हैं. बुधवार को, भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमने और वियतनाम के उप राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करना था, जिसमें सबसे ज्यादा जोर जहाज निर्माण (Shipbuilding) पर दिया गया.
यह बैठक दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे और एक-दूसरे के प्रति मजबूत होते समर्थन को दिखाती है. एक ऐसे समय में जब चीन लगातार अपने पड़ोसी देशों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, भारत और वियतनाम का रक्षा के क्षेत्र में करीब आना एक बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
क्या हुई बैठक में खास बात?
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच चल रहे रक्षा सहयोग की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. चर्चा का मुख्य फोकस रक्षा उद्योग में सहयोग के नए रास्ते तलाशना था. भारत, जो 'मेक इन इंडिया' के तहत अपने रक्षा उद्योग को मजबूत कर रहा है, ने वियतनाम के साथ मिलकर जहाज बनाने और अन्य रक्षा उपकरणों के उत्पादन में गहरी दिलचस्पी दिखाई है.
यह सहयोग सिर्फ बातचीत तक ही सीमित नहीं है. भारत ने पहले ही वियतनाम को रक्षा उपकरण खरीदने के लिए 100 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (आसान शर्तों पर कर्ज) की पेशकश की हुई है. इस कर्ज का इस्तेमाल वियतनाम, भारत से हाई-स्पीड गश्ती नौकाएं खरीदने के लिए कर रहा है, जिनका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो (L&T) शिपयार्ड में किया जा रहा है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह साझेदारी?
भारत की 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी के लिए वियतनाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ है. दोनों देश एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं और उनके हित कई मुद्दों पर एक जैसे हैं, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक स्वतंत्र और खुला समुद्री मार्ग सुनिश्चित करने को लेकर.
वियतनाम, दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता का सामना करने वाले प्रमुख देशों में से एक है. ऐसे में, भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करके, विशेष रूप से अपनी नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ाकर, वियतनाम खुद को और अधिक सुरक्षित महसूस कर सकता है. यह बैठक इस बात का साफ संकेत है कि भारत अपने दोस्त वियतनाम की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
यह साझेदारी न केवल इन दो देशों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.


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