
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय राजनीति में पिछले कुछ समय से 'डबल इंजन सरकार' शब्द काफी चर्चा में रहा है, खासकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा। इस शब्द का सीधा मतलब है कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों में एक ही राजनीतिक दल सत्ता में हो, तो विकास कार्यों को गति मिलती है और आम जनता को इसका अधिक लाभ मिलता है।
यह सिद्धांत इस सोच पर आधारित है कि जब केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होती है, तो नीतियों के निर्माण, फंड के आवंटन और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर तालमेल और समन्वय होता है। इससे लालफीताशाही (red tape) कम होती है और प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे होते हैं।
बीजेपी के नेता अक्सर इस बात पर जोर देते हैं कि 'डबल इंजन' सरकार होने से केंद्र की बड़ी योजनाएं, जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स या कल्याणकारी योजनाएं, राज्य में बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से लागू हो पाती हैं। उनका दावा है कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकारें केंद्र से अधिक आसानी से मदद और फंड प्राप्त कर सकती हैं, जिससे विकास की रफ्तार दोगुनी हो जाती है।
इसके विपरीत, जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकारें होती हैं, तो नीतियों को लेकर मतभेद या समन्वय की कमी आ सकती है, जिससे विकास कार्य धीमे हो सकते हैं या अटक सकते हैं। इसलिए, 'डबल इंजन सरकार' का नारा देते हुए बीजेपी मतदाताओं से अपील करती है कि वे राज्य में भी उन्हीं की पार्टी को चुनें ताकि केंद्र के सहयोग से राज्य का अधिकतम विकास सुनिश्चित हो सके।
'डबल इंजन सरकार' बीजेपी का एक राजनीतिक सिद्धांत है जिसका उपयोग यह समझाने के लिए किया जाता है कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी के शासन से विकास और योजना क्रियान्वयन में दक्षता आती है।
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