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Up Kiran, Digital Desk: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा एक बार फिर से गंभीर सवालों के घेरे में है। पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार धार्मिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं, वे यह दर्शाती हैं कि राजनीतिक अस्थिरता और भीड़तंत्र का बढ़ता प्रभाव अब आम लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। हालिया घटना में राजधानी ढाका में एक हिंदू व्यवसायी की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

ढाका के पुराने इलाके में स्थित मिटफोर्ड अस्पताल के पास बुधवार को कबाड़ का व्यापार करने वाले लाल चंद सोहाग को कुछ लोगों ने बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। यह हमला इतना नृशंस था कि घटना का वीडियो सामने आने के बाद पूरे बांग्लादेश में गुस्से की लहर दौड़ गई। वीडियो में हमलावरों को कंक्रीट के टुकड़ों से सोहाग पर वार करते हुए देखा गया, और उनकी मृत्यु के बाद वे उसके शव के पास नाचते हुए नजर आए।

इस भयावह घटना के बाद शनिवार को ढाका के विभिन्न विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। BRAC विश्वविद्यालय, ईस्ट वेस्ट यूनिवर्सिटी, एनएसयू और ईडन कॉलेज जैसे संस्थानों के सैकड़ों छात्रों ने सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। छात्रों ने नारेबाजी करते हुए पूछा – “जब समाज में अपराधी खुलेआम अत्याचार कर रहे हैं, तो प्रशासन क्या कर रहा है?” प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अंतरिम सरकार जनता की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है।

जांच के सिलसिले में पुलिस ने अब तक पांच संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिनमें से दो के पास अवैध हथियार भी पाए गए हैं। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में 19 नामजद और करीब 15 से 20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। लाल चंद की बहन मंजुआरा बेगम ने कोतवाली थाने में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने भाई को पूर्व नियोजित साजिश के तहत मारे जाने का आरोप लगाया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लाल चंद सोहाग पहले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के युवा मोर्चे से जुड़े हुए थे। बताया जा रहा है कि पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर जबरन वसूली की मांग को लेकर उनकी हत्या कर दी। घटना के बाद BNP ने चार आरोपियों को तत्काल पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की है।

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