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Up Kiran, Digital Desk: जीएसटी सुधार को लेकर मोदी सरकार की हालिया घोषणाओं पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने व्यापक सुधार के बजाय केवल 'कॉस्मेटिक बदलाव' किए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह भारत को ज़रूरी संरचनात्मक बदलावों की दिशा में नहीं, बल्कि एक "खराब डिज़ाइन" को हल्का सुधारने का प्रयास है।

रमेश ने कहा, "सरकार ने जो कदम उठाए हैं वे त्योहारों के दौरान कुछ राहत ज़रूर देंगे, लेकिन यह सच्चे जीएसटी 2.0 की दिशा में नहीं हैं। हम लंबे समय से उस व्यवस्था की वकालत करते आए हैं जो कर ढांचे को सरल बनाए, उपभोक्ताओं के लिए दरें घटाए और एमएसएमई पर अनुपालन का बोझ कम करे।"

परिषद की बैठक से पहले ही प्रधानमंत्री की घोषणा

रमेश ने इस प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के भाषण में जो बातें कही थीं, वही बातें बाद में जीएसटी परिषद की बैठक में 'घोषणाएँ' बनीं। इससे सवाल उठता है कि क्या परिषद अब सिर्फ औपचारिक संस्था बनकर रह गई है?"

जीएसटी 1.0 को बताया "विकास को दबाने वाला कर"

कांग्रेस नेता ने 2017 में लागू किए गए जीएसटी सिस्टम को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "GST 1.0 शुरू से ही दोषपूर्ण था। यह कर प्रणाली विकास को बढ़ावा देने के बजाय उसे रोकती रही।"

उन्होंने आगे कहा, "अब जब खपत और निवेश में गिरावट है, तब जाकर सरकार को यह समझ आया कि सुधार की ज़रूरत है। पर यह जो घोषणाएं की गई हैं, वे असली सुधार नहीं हैं, बल्कि इसे हम 'GST 1.5' कह सकते हैं।"

MSMEs और राज्यों की चिंताएं बनी हुई हैं

रमेश ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को राहत देने की बातें की गई हैं, लेकिन असली असर देखने में समय लगेगा। उन्होंने सहकारी संघवाद के सिद्धांत की बात करते हुए कहा कि राज्यों की एक अहम मांग - मुआवज़ा अवधि को पाँच साल बढ़ाना - अभी भी लंबित है।

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