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राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में जुटी हुई है। दोनों ही पार्टियां जिताऊ कैंडिडेट को टिकट देने की कोशिश में हैं। यदि बात कॉंग्रेस की करें तो प्रदेश में मिशन रिपीट का लक्ष्य लेकर चल रही पार्टी इस बार टिकट वितरण में किसी भी तरह की रियायत बरतने के मूड में नहीं दिख रही।

क्या कहते हैं सर्वे

हालाँकि गहलोत सरकार की योजनाओं के दम पर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस बार एंटी इनकंबेंसी नहीं है, मगर अबतक कराए गए पाँच सर्वे में 80 सीटों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। ऐसे में संबंधित मंत्रियों, विधायकों के क्षेत्रों में एंटी इनकमबेंसी कम करने के लिए पार्टी की प्रदेश इकाई इन सभी सीटों पर चेहरे बदलना चाहती है।

आपको बता दें कि साल की शुरुआत से ही विधानसभा सीट वार सर्वे करा रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से अब तक पांच सर्वे हो चुके हैं। इनमें मौजूदा विधायकों, पूर्व प्रत्याशियों की मौजूदा स्थिति के अलावा पांच पांच नए नामों पर भी राय ली गई। सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने फिलहाल सीटों पर चेहरे बदलने की मंजूरी दी है।

जहां सर्वे में पार्टी को सीधे सीधे हारने की रिपोर्ट है। इनमें दो कैबिनेट मंत्री, दो राज्य मंत्री, विधायक और सात पूर्व प्रत्याशी शामिल हैं। इन टिकट काट कर पार्टी नए चेहरे मैदान में उतारने की तैयारी में है। हालांकि कुछ संबंधित उम्मीदवार के परिवार में से ही किसी को दिए जा सकते हैं।

गौरतलब है कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। इसके बाद दो हज़ार 18 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने लगभग 100 टिकट काटे थे। इनमें से संबंधित परिवार में से किसी को दिए गए थे। इस बार कांग्रेस सत्ता में है, मगर विधायकों और मंत्रियों को लेकर एंटी इनकमबेंसी के कारण पार्टी टिकट बदलना चाहती है। अब प्रत्याशियों के नामों को लेकर दोनों ही पार्टियों में मंथन जारी है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी पहले प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करती है। 

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