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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक ऐसी त्रासदी घटी जिसने हर किसी का दिल झकझोर कर रख दिया है। उस गाँव के सरकारी स्कूल की इमारत शुक्रवार को अचानक ध्वस्त हो गई, जिससे सात मासूम बच्चों की जान चली गई। ये बच्चे किसी के सपनों के सूरज थे, पर अब उनके घरों में सन्नाटा और गम की छाया छा गई है।
हंसी से सन्नाटे तक का सफर
कुछ दिन पहले तक उस आंगन में भाई-बहन की खिलखिलाती आवाज़ें गूंजती थीं, खेलते-खिलखिलाते बच्चे भविष्य के सपने संजोते थे। लेकिन अब वही आंगन ग़म और चुप्पी में डूबा है। हादसे के बाद के दिन परिवारों की आंखों से बहते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
एक मां की टूटी हुई दुनिया
इस दर्दनाक घटना में एक मां की ज़िंदगी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। उसने अपने दो प्यारे बच्चों को खो दिया है। वह लगातार यही दोहराती रहती है कि काश भगवान ने उसके बच्चों को नहीं, बल्कि उसे ही उठा लिया होता। उसकी चीखें, उसका दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।
मां ने कहा, “मेरे दो बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी। दोनों अब नहीं रहे। मेरा घर सूना हो गया, मेरा आंगन खाली हो गया। मेरी जिंदगी अधूरी रह गई। भगवान से बस यही दुआ है कि मुझे ले जाएं, बच्चों को छोड़ दें।”
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