
वाशिंगटन में अप्रवासन नीतियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने 6,000 से अधिक जीवित अप्रवासियों को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया है। यह कदम उन्हें अमेरिका छोड़ने और अपने-अपने देशों में वापस लौटने के लिए मजबूर करने की रणनीति के तहत उठाया गया है। इससे पहले इन लोगों को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में अस्थायी रूप से अमेरिका में रहने की अनुमति मिली थी।
ट्रंप प्रशासन की सख्त नीति
इस नीति के तहत इन अप्रवासियों के सामाजिक सुरक्षा नंबर (Social Security Number) को अमान्य घोषित कर दिया गया है, जिससे ये लोग अब कानूनी रूप से काम नहीं कर सकते, बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते और कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हो गए हैं। इस तरह उन्हें धीरे-धीरे ‘स्व-निर्वासन’ के लिए मजबूर किया जा रहा है।
क्या होता है सामाजिक सुरक्षा नंबर
अमेरिका में सामाजिक सुरक्षा नंबर एक अनूठा नौ अंकों का पहचान पत्र होता है, जो नागरिकों और वैध निवासियों को जारी किया जाता है। इसका उपयोग करदाता की पहचान, आय पर नजर रखने और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में योगदान के लिए होता है। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन ने हजारों अप्रवासियों से यह अधिकार छीन लिया है।
बाइडेन सरकार की योजना को पलटना
ट्रंप प्रशासन का यह कदम बाइडेन सरकार द्वारा शुरू की गई उस योजना के खिलाफ है, जिसके तहत अमेरिका ने 9 लाख से ज्यादा अप्रवासियों को CBP One ऐप के माध्यम से सीमित अवधि के लिए रहने और काम करने की अनुमति दी थी। अब इस योजना के अंतर्गत जारी अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द किया जा रहा है, जिससे इन अप्रवासियों का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
न्यायपालिका ने दी अस्थायी राहत
हालांकि, इन कार्रवाइयों के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी तेज हो गई है। एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को फिलहाल क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के हजारों लोगों को देश से बाहर निकालने से रोक दिया है।
“डेमोक्रेसी फॉरवर्ड” नामक वकालत समूह की प्रमुख स्काई पेरीमैन ने इसे संविधान और न्याय प्रणाली का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया कानून के विपरीत और अमेरिकी लोकतंत्र की मूल आत्मा के खिलाफ है। संगठन ने संकेत दिया है कि वे सामाजिक सुरक्षा नंबरों की रद्दीकरण प्रक्रिया को लेकर अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं।
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