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वक्फ संशोधन बिल को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में आंतरिक मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। पार्टी के भीतर इस मुद्दे को लेकर दो राय बनती दिख रही हैं। अब जेडीयू के वरिष्ठ नेता और एमएलसी गुलाम गौस ने खुलकर पार्टी लाइन से असहमति जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार के इस बिल के समर्थन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है और राष्ट्रपति से अपील की है कि वह इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेजें।

गुलाम गौस की नाराजगी: “हमारी गर्दन पर छुरी नहीं चलेगी”

गुलाम गौस ने पार्टी के रवैये पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "अगर जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया है तो इसका मतलब यह नहीं कि हम चुप रहेंगे और हर बात में हां में हां मिलाते रहेंगे। यह ठीक नहीं हुआ। पहले भी हम इस विषय को उठा चुके हैं और आगे भी उठाएंगे। मैं राष्ट्रपति से अनुरोध करूंगा कि इस बिल को दोबारा संसद में विचार के लिए भेजें।"

गौस का यह बयान साफ करता है कि पार्टी के भीतर इस विधेयक को लेकर गंभीर असहमति है और कई नेता इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं।

गुलाम गौस की तीखी शायरी और सियासी संदेश

अपनी बात को और प्रभावी बनाने के लिए गुलाम गौस ने एक शायरी के जरिए भी अपने दर्द को बयां किया। उन्होंने कहा:

"मेरा कातिल है मेरा मुंसिफ है, फैसला मेरे हक में क्या करेगा,
हमें उनसे है वफा की उम्मीद, जो जानते नहीं वफा क्या है।”

इस शायरी के जरिए उन्होंने सरकार की नीयत और निष्पक्षता पर सवाल उठाया है, खासकर मुस्लिम समाज से जुड़े मसलों पर।

“वक्फ पर सरकार की नजरें, फंड में कटौती”

गुलाम गौस ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार लगातार मुस्लिम समुदाय से जुड़ी संस्थाओं और उनकी संपत्तियों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि पहले बाबरी, फिर लव जिहाद, घर वापसी, तीन तलाक, एनआरसी, 370 जैसे मुद्दे उठाए गए और अब वक्फ की बारी है।

उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जो फंड मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए इस्तेमाल होते थे, उनमें भारी कटौती की गई है। मौलाना आजाद फाउंडेशन के तहत मिलने वाले फंड को बंद कर दिया गया है। गौस ने सवाल किया कि यदि सरकार पसमांदा मुसलमानों की इतनी हितैषी है, तो सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट क्यों नहीं लागू की गई?

“बिलकिस बानो के दोषियों का महिमामंडन क्यों?”

गौस ने केंद्र सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो मामले के दोषियों को जिस तरह महिमामंडित किया गया, उससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों से मुस्लिम समुदाय के मन में असुरक्षा की भावना पैदा होती है।

“हमें सौगात नहीं, अधिकार चाहिए”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजे गए 'सौगात ए मोदी' को लेकर भी गुलाम गौस ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हमें किसी सौगात की भीख नहीं चाहिए, हम अपना हक चाहते हैं। हम भी इस देश के उतने ही नागरिक हैं जितने बाकी लोग। हमारे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिए हैं, लाखों मुसलमानों ने फांसी के फंदे को चूमा है। आज भी हमारा खून लाल किले की दीवारों पर मौजूद है।”

गौस का यह बयान देश की आज़ादी में मुसलमानों की भूमिका और उनके मौजूदा हालात पर गंभीर चर्चा की मांग करता है।

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