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नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर सिर्फ अमेरिकी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सीधा प्रभाव आम घरों, व्यवसायों और कर्मचारियों पर भी पड़ेगा। विभिन्न आर्थिक रिपोर्टों के अनुसार, इस फैसले से महंगाई बढ़ने, व्यापारिक लागतों में इजाफा और रोजगार पर दबाव का खतरा है।

टैरिफ, जो कि आयातित सामानों पर अतिरिक्त कर होते हैं, का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना होता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, क्योंकि कंपनियों को इन टैरिफ के कारण उत्पादन लागत बढ़ानी पड़ती है। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा।

छोटे और मध्यम व्यवसायों को विशेष तौर पर इस नीति से कठिनाई हो सकती है, क्योंकि वे अपनी उत्पादन श्रृंखला में कई बार आयातित कच्चा माल और उपकरण इस्तेमाल करते हैं। टैरिफ बढ़ने से उनके लिए लागत बढ़ेगी और मुनाफे में कमी आ सकती है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में नौकरियों पर भी खतरा मंडरा रहा है, खासकर उन उद्योगों में जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यदि अमेरिकी सरकार इस नीति को लंबी अवधि तक लागू रखती है, तो वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ेगी, जिससे निवेशक और व्यापारिक संस्थान सतर्क रहेंगे।

हालांकि, सरकार का तर्क है कि यह कदम घरेलू उद्योगों को सशक्त बनाने और विदेशी प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है। लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इसकी वजह से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को तत्काल और दीर्घकालिक दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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