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Up Kiran, Digital Desk: जैसे-जैसे देश 78वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है, देश भर के कई नगर निगमों द्वारा 15 अगस्त को बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने के आदेशों ने एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद छेड़ दिया है। विपक्षी दलों ने इस कदम को "असंवैधानिक" और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है।

महाराष्ट्र के कल्याण-डोंबिवली में विवाद की शुरुआत

यह विवाद मुख्य रूप से महाराष्ट्र के कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (KDMC) द्वारा जारी किए गए एक आदेश के बाद उभरा है। KDMC ने सभी लाइसेंस प्राप्त कसाईयों और बूचड़खानों को 14 अगस्त की मध्यरात्रि से 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक अपना संचालन बंद करने का निर्देश दिया है। आदेश में कहा गया है कि उल्लंघन करने वालों पर महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

KDMC का बचाव: 'सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने का वार्षिक संकल्प'

KDMC के अधिकारियों ने इस आदेश का बचाव करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय दिनों पर सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1988 से एक वार्षिक नागरिक संकल्प का हिस्सा रहा है। उनका तर्क है कि यह कदम केवल राष्ट्रीय गौरव और एकता के दिन किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को रोकने के लिए उठाया गया है।

विपक्ष का तीखा प्रहार: 'यह स्वतंत्रता का अपमान है!'

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस तर्क को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर इस तरह के प्रतिबंध लगाना, जो व्यक्तिगत पसंद और स्वतंत्रता का प्रतीक है, बिल्कुल अनुचित है।

समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद वीरेंद्र सिंह ने तर्क दिया कि अगर स्वतंत्रता का जश्न प्रतिबंध लगाकर मनाया जाए तो यह कितना सही है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले उन्हें अपने मंत्री किरण रिजिजू से पूछना चाहिए, जो बीफ खाते हैं।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इसे पाखंड करार दिया, यह कहते हुए कि सरकार बीफ निर्यात में नंबर वन है, लेकिन लोगों को खाने नहीं देती।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के इसी तरह के आदेश की निंदा करते हुए पूछा कि मांस खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने के बीच क्या संबंध है।

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