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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट में चयन नीति को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है, इस बार केंद्र में हैं ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में शानदार शतक लगाने वाले सुंदर के प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा, लेकिन उनके पिता एम. सुंदर ने क्रिकेट बोर्ड और चयनकर्ताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने खुलकर कहा कि वाशिंगटन को उसकी काबिलियत के मुताबिक मौके नहीं दिए जा रहे, जबकि अन्य खिलाड़ियों को लगातार अवसर मिलते हैं।
एम. सुंदर का कहना है कि जब एक खिलाड़ी बार-बार अच्छा प्रदर्शन करता है और फिर भी उसे नजरअंदाज किया जाता है, तो यह न केवल उसके आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है, बल्कि चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में बेटे के चयन न होने पर आश्चर्य जताया, जबकि वाशिंगटन ने चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 101 रन बनाकर मैच को नई दिशा दी थी।
यह पहली बार नहीं है जब वाशिंगटन के प्रदर्शन को अनदेखा किया गया हो। उनके पिता ने याद दिलाया कि 2021 में चेन्नई और अहमदाबाद टेस्ट में भी सुंदर ने इंग्लैंड के खिलाफ मुश्किल हालात में नाबाद पारियां खेली थीं — एक 85 रन की और दूसरी 96 रन की। दोनों बार वह शतक के बेहद करीब थे, लेकिन इन पारियों के बावजूद उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
उन्होंने आईपीएल में भी बेटे के साथ हो रहे व्यवहार पर नाराजगी जताई। एम. सुंदर के अनुसार, IPL 2022 में SRH की ओर से पहले ही मैच में 14 गेंदों पर 40 रन बनाने के बावजूद वाशिंगटन को अगले कई मैचों में बाहर बैठाया गया। इतना ही नहीं, उनकी मौजूदा टीम गुजरात टाइटंस ने भी आईपीएल 2025 के एलिमिनेटर जैसे अहम मुकाबले में जब उन्होंने 24 गेंदों में 48 रन की धुआंधार पारी खेली, उसके बावजूद उन्हें निरंतर मौके नहीं मिले।
एम. सुंदर ने राजस्थान रॉयल्स की नीति की सराहना करते हुए कहा कि यशस्वी जायसवाल को लगातार समर्थन मिलता है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और प्रदर्शन में निरंतरता दिखती है। उन्होंने क्रिकेट प्रशासन से अपील की कि प्रतिभावान खिलाड़ियों को भी बराबर का मौका मिलना चाहिए, खासकर तब जब वे बार-बार खुद को साबित कर चुके हों।
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