Religious Conversion: जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय अक्सर विवादों में रहता है - कभी दिवाली से संबंधित तो कभी राष्ट्र विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित। अब एक समाचार चैनल ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से जुड़े एक महत्वपूर्ण विवाद को उजागर करने का दावा किया है, जो संस्थान में पढ़ने, पढ़ाने या काम करने वाले हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव और धमकियों के आरोपों पर केंद्रित है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि जामिया के भीतर एक समूह मौजूद है जो हिंदुओं पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाता है और मना करने पर उन्हें बलात्कार या पढ़ाई में फेल करने जैसे परिणाम भुगतने की धमकी देता है।
कॉल फॉर जस्टिस नामक एक एनजीओ ने ये गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदू छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को व्यवस्थागत पक्षपात और दबाव का सामना करना पड़ता है। एनजीओ के अनुसार, हिंदुओं को कथित तौर पर कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है और उन पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाला जाता है। हिंदू छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की शिकायतों के बाद एनजीओ ने दावों की जांच के लिए छह सदस्यीय तथ्य-खोज समिति का गठन किया।
समिति में दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिव नारायण ढींगरा, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव तिवारी और पूर्णिमा, दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव, दिल्ली सरकार के पूर्व सचिव नरेंद्र कुमार और किरोड़ीमल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. नदीम अहमद शामिल थे।
समिति के निष्कर्षों में कथित तौर पर धार्मिक भेदभाव के खतरनाक उदाहरण सामने आए हैं। कथित तौर पर हिंदू छात्रों, प्रोफेसरों और कर्मचारियों को धर्म परिवर्तन का विरोध करने पर एसिड अटैक और बलात्कार की धमकियाँ दी गईं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि हिंदू छात्रों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के लिए उन्हें जानबूझकर परीक्षाओं में फेल किया जाता है। मुस्लिम संकाय सदस्यों और छात्रों पर इन कृत्यों को अंजाम देने का आरोप लगाया गया था।
जांच में लव जिहाद के मामलों का भी आरोप लगाया गया है और दावा किया गया है कि हिंदू एससी/एसटी छात्रों और लड़कियों को उनकी मान्यताओं में हेरफेर करने के लिए वरीयता दी गई थी। इन घटनाओं के कारण कुछ हिंदू छात्रों ने कथित तौर पर जामिया छोड़ दिया है। रिपोर्ट में परिसर में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के प्रभाव की ओर भी इशारा किया गया है, जिन पर व्यक्तियों का ब्रेनवॉश करने का आरोप है।
इन आरोपों से लोगों में आक्रोश फैल गया है और मामले की गहन जांच की मांग की जा रही है। जामिया मिलिया इस्लामिया ने अभी तक इन दावों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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