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Up Kiran, Digital Desk: उत्तरकाशी जिले में हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि सड़कें अब महज भ्रष्टाचार का प्रतीक बनकर रह गई हैं। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण जो सड़कें गांवों को बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए बनाई गईं, वो अब बारिश के एक मौसम में ही खराब हो जाती हैं। ये सड़कों के हालात इस बात का साफ संकेत हैं कि विकास के नाम पर धन का किस हद तक दुरुपयोग किया जा रहा है।

हाल के वर्षों में करोड़ों रुपये खर्च कर जिले में कई सड़क परियोजनाएं शुरू की गई थीं, लेकिन अब यही सड़कें खराब स्थिति में नजर आ रही हैं। जिस डामर ने गांवों को विकास की दिशा में जोड़ा था, वह अब एक-दो साल में उखड़कर गड्ढों में तब्दील हो गया है। जिले के भटवाड़ी से लेकर मोरी तक कई सड़कों की हालत ऐसी ही है।

विधायक के गांव को जोड़ने वाली सड़क की हालात सबसे खराब

यमुनोत्री क्षेत्र के विधायक संजय डोभाल के गांव को जोड़ने वाली बड़कोट-उपराड़ी सड़क मार्ग की हालत सबसे बदतर है। यह सड़क न केवल विधायक के गांव को जोड़ने का काम करती है, बल्कि यह अन्य कई गांवों के लिए भी अहम है। सवाल यह उठता है कि जब विधायक के खुद के गांव की सड़क इतनी खस्ता हालत में है, तो बाकी दूर-दराज के गांवों की सड़कें कैसे होंगी?

रोजाना सैकड़ों लोग इस खस्ताहाल सड़क पर यात्रा करने को मजबूर हैं, जबकि सड़क की स्थिति दुर्घटना के खतरे को और बढ़ा रही है। 2021-22 में पीएमजीएसवाई द्वारा इस सड़क के निर्माण कार्य की शुरुआत की गई थी और इसे 5 किलोमीटर लंबा बनाने का लक्ष्य था। 2021 के जून में इसका डामरीकरण भी किया गया, लेकिन अब सड़क की हालत यह है कि यह जगह-जगह से धंस चुकी है। अब यहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं है।

लापरवाही और भ्रष्टाचार की कहानी

ग्रामीणों की मानें तो सड़क निर्माण के दौरान भारी लापरवाही बरती गई। पूर्व प्रधान शांति प्रसाद बेलवाल और नीतेश बेलवाल जैसे स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है और यह सड़क की खराब स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है। ग्रामीणों का कहना है कि कई लाख रुपये की मरम्मत के बावजूद, सड़क की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा, इस सड़क पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पैरापिट (सुरक्षा दीवार) बनाए जाने थे, लेकिन हकीकत में इन पैरापिटों की संख्या बहुत कम है। जिन पैरापिटों का निर्माण किया गया, वे भी सिर्फ कागजों में ही दिखते हैं।