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Up Kiran, Digital Desk: नाक की छोटी समस्या को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह साधारण सर्दी या एलर्जी नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट का शुरुआती संकेत हो सकता है। यदि नाक में बार-बार बहाव, बंद होना, रक्तस्राव या अन्य असामान्य लक्षण दिखें, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। समय पर पहचान और उपचार नाक के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

नाक के कैंसर के बारे में क्या है?
नाक और साइनस का कैंसर तब उत्पन्न होता है, जब नाक के अंदरूनी हिस्से या आस-पास के साइनस की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं। सामान्यत: यह कैंसर नाक के पीछे के खाली स्थान से शुरू होता है, जो मुंह की ऊपरी छत से गले तक जुड़ा होता है। साइनस दरअसल नाक के आसपास स्थित हवा से भरी छोटी-सी जगह होती है। यह बीमारी सिर और गर्दन के कैंसर की श्रेणी में आती है।

किसे होता है ज्यादा खतरा?
नाक के कैंसर का खतरा कुछ विशेष परिस्थितियों में बढ़ सकता है। लंबे समय तक हानिकारक धूल या रासायनिक पदार्थों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों में इसका खतरा ज्यादा पाया जाता है। जैसे लकड़ी का बुरादा (कारपेंट्री का कार्य), कपड़ा उद्योग की धूल, चमड़ा या आटे की धूल, निकेल और क्रोमियम जैसे धातुओं की धूल, सरसों गैस या रेडियम के संपर्क में आने वाले लोग। इसके अतिरिक्त, तंबाकू सेवन करने वाले, HPV संक्रमण से प्रभावित लोग, जिनके परिवार में पहले कैंसर का इतिहास रहा हो, गोरे रंग के लोग, पुरुष और 55 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

नाक के कैंसर के संकेत
इस कैंसर के लक्षण अक्सर नाक के एक ही हिस्से में दिखाई देते हैं। इनमें निरंतर नाक बंद होना, आंखों के ऊपर या नीचे दर्द, नाक से बार-बार रक्त बहना, नाक से पस या गंदा पानी निकलना, चेहरे या दांतों में सुन्नपन, आंखों से पानी गिरना, दृष्टि में परिवर्तन, कान में दबाव या दर्द और चेहरे, तालू या नाक के अंदर गांठ का बनना शामिल है।

जांच प्रक्रिया
यदि डॉक्टर को लक्षणों के आधार पर नाक के कैंसर का संदेह होता है, तो मरीज को ईएनटी (ENT) विशेषज्ञ के पास भेजा जाता है। पुष्टि के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन और बायोप्सी जैसी जांचें की जाती हैं।