img

Up Kiran, Digital Desk: भारत के शहरों में आजकल हलचल कुछ ज्यादा ही है – आबादी बढ़ रही है, ट्रैफिक जाम हो रहा है, और बुनियादी सुविधाएं कहीं पीछे छूटती जा रही हैं। इन्हीं बढ़ती चुनौतियों के बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक बहुत ही अहम बात कही है। उनका मानना है कि अगर हमें अपने शहरों को वाकई ठीक करना है, तो हमें 'शहरी योजना शिक्षा' (Urban Planning Education) पर खास ध्यान देना होगा।

शिवकुमार ने बेंगलुरु जैसे तेजी से बढ़ते शहरों का उदाहरण दिया, जहां अनियोजित विकास (unplanned growth) ने कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास काबिल इंजीनियर और आर्किटेक्ट तो बहुत हैं, लेकिन 'शहरी योजनाकारों' (Urban Planners) की कमी है, जो शहरों को एक व्यवस्थित तरीके से डिजाइन और विकसित कर सकें। उनका मानना है कि सिर्फ नीतियां बनाने से काम नहीं चलेगा, उन्हें जमीन पर सही तरीके से लागू करने के लिए विशेषज्ञ प्लानिंग की जरूरत होती है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहरी योजना से जुड़ी शिक्षा को आधुनिक बनाना बहुत जरूरी है। इसमें सिर्फ किताबें पढ़ना ही नहीं, बल्कि नई तकनीकें जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का भी इस्तेमाल सिखाया जाना चाहिए। उनका सुझाव है कि शहरी नियोजन को इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषयों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, ताकि एक समग्र (holistic) दृष्टिकोण विकसित हो सके।

डीके शिवकुमार ने राज्य सरकारों और केंद्रीय सरकार दोनों से अपील की है कि वे शहरी योजना शिक्षा को बढ़ावा दें और इसे प्राथमिकता दें। उनका मानना है कि मजबूत और बेहतर शहरों का निर्माण तभी हो पाएगा जब हमारे पास पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित और काबिल शहरी योजनाकार होंगे। ये योजनाकार ही 'स्मार्ट सिटीज' और 'टिकाऊ विकास' (sustainable development) जैसे लक्ष्यों को हकीकत में बदल सकते हैं।

--Advertisement--