Up kiran,Digital Desk : एक तरफ जहां पूरी दिल्ली ज़हरीली हवा की धुंध में लिपटी हुई है और लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी, यानी जेन-जी (Gen-Z), ने इस घुटन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का एक ऐसा तरीका निकाला, जिसने सबका दिल जीत लिया।
बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर का नज़ारा आम धरना-प्रदर्शनों से बिल्कुल अलग था। यहां गुस्सा या नारेबाज़ी नहीं थी, बल्कि कला, संगीत और कविताओं के ज़रिए साफ हवा की मांग की जा रही थी।
किसी के हाथ में गिटार, तो किसी के पास कैनवास
सोचिए, एक लड़का गिटार बजाकर 'सांस बचाओ' जैसा गाना गा रहा है, तो दूसरी तरफ एक आर्टिस्ट अपने कैनवास पर धुएं और स्मॉग में डूबी दिल्ली की एक दर्दनाक तस्वीर बना रहा है। कुछ युवाओं ने तो इस विरोध को और भी असरदार बनाने के लिए चेहरे पर मास्क के साथ-साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी टांग रखे थे। यह एक ऐसा दृश्य था जो बिना कुछ कहे ही दिल्ली के हालात को बयां कर रहा था।
दिल्ली सिटिजन ग्रुप के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में एनएसयूआई (NSUI) समेत कई छात्र संगठन भी शामिल हुए। नुक्कड़ नाटक के ज़रिए यह दिखाया गया कि यह ज़हरीली हवा हमारे बच्चों और बुज़ुर्गों पर किस तरह सितम ढा रही है।
क्या चाहते हैं ये युवा?
- वैज्ञानिक समाधान: प्रदूषण को रोकने के लिए सिर्फ खानापूर्ति नहीं, बल्कि एक ठोस वैज्ञानिक रणनीति बनाई जाए।
- सांस लेने का अधिकार: साफ हवा में सांस लेने को एक मौलिक अधिकार घोषित किया जाए।
- तुरंत एक्शन: प्रदूषण से निपटने के लिए जो भी इमरजेंसी एक्शन प्लान हैं, उन्हें फौरन लागू किया जाए।
प्रदर्शन में शामिल एक कलाकार ने सिगरेट पीने की एक्टिंग करते हुए एक व्यंग्य प्रस्तुत किया, मानो वह कह रहा हो कि जब हवा में ही इतना ज़हर है, तो और क्या उम्मीद करें। मशहूर संगीतकार राहुल राम ने भी अपनी प्रस्तुति से इस लड़ाई को अपना समर्थन दिया।
यह विरोध इस बात का सबूत है कि जब सरकारें सो रही हों, तो देश का युवा समाज को जगाने के लिए कला और संगीत का सहारा ले सकता है। यह एक शांतिपूर्ण लेकिन बहुत शक्तिशाली तरीका है यह बताने का कि अब बस, बहुत हुआ!
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