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Up Kiran, Digital Desk: धामी सरकार अब समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के तहत लिव-इन संबंधों के पंजीकरण के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की योजना बना रही है। गृह विभाग ने इस संबंध में कोर्ट में शपथ पत्र भी पेश किया है, जिसमें बताया गया है कि विवाह पंजीकरण से जुड़े नियमों में संशोधन किया जा सकता है ताकि निजता के अधिकार का उल्लंघन न हो।

समान नागरिक संहिता का प्रभाव

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, राज्य में विवाह पंजीकरण और लिव-इन जैसे मामलों को कानून के तहत पंजीकरण करने की व्यवस्था लागू की गई थी। हालांकि, कुछ समय पहले लिव-इन संबंधों को लेकर अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि लिव-इन के नियमों में निजी जिंदगी का उल्लंघन हो रहा है, जिससे उनकी निजता का अधिकार प्रभावित हो रहा है।

क्या होंगे बदलाव?

गृह विभाग की तरफ से शपथ पत्र में स्पष्ट किया गया है कि लिव-इन संबंधों से जुड़ी कुछ जानकारी के पंजीकरण में छूट दी जा सकती है। इनमें प्रमुख रूप से तलाकशुदा होने या पहले लिव-इन में रहने की सूचना देने की अनिवार्यता समाप्त करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, लिव-इन संबंधों के समाप्त होने के बाद गर्भवती होने या बच्चे के जन्म की सूचना देने की अनिवार्यता को भी समाप्त किया जा सकता है।

गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि इस बदलाव का उद्देश्य निजता के अधिकार का सम्मान करना है। वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि नए नियमों के तहत लोगों की गोपनीयता पर कोई प्रभाव न पड़े। इसके अलावा, बालिग व्यक्तियों के लिव-इन में आने पर उनके अभिभावकों को सूचना देने की व्यवस्था और आधार कार्ड की अनिवार्यता पर भी विचार किया जा रहा है।

निजता का सम्मान करते हुए नियमों में बदलाव

इस फैसले से यह साफ है कि सरकार के लिए नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सर्वोपरि है। सरकार का मानना है कि जिनका निजी जीवन प्रभावित होता है, उनके हितों की रक्षा की जानी चाहिए। वहीं, लिव-इन संबंधों के लिए नियमों में जरूरी सुधार करने की प्रक्रिया जारी है।