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Up kiran,Digital Desk : अगर आप सोच रहे हैं कि नवंबर खत्म हो गया और वैसी वाली सर्दी महसूस क्यों नहीं हुई, या फिर सिर्फ गले में खराश वाली ठंड क्यों लग रही है, तो आप अकेले नहीं हैं। इस साल उत्तराखंड में नवंबर का महीना लगभग सूखा ही बीत गया है। हालात ये हैं कि बारिश न होने की वजह से 'सूखी ठंड' (Dry Cold) ने पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक लोगों को परेशान कर रखा है। चिंता की बात यह है कि अभी राहत की उम्मीद भी कम है, क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में फिलहाल बारिश के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।

सामान्य से बेहद कम बारिश

हैरानी की बात है कि आम तौर पर नवंबर के महीने में प्रदेश भर में करीब 5.9 एमएम बारिश हो ही जाती थी। लेकिन इस बार तस्वीर बिल्कुल अलग है। महीने की शुरुआत में चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जैसे पहाड़ी जिलों में बहुत हल्की बूंदाबांदी हुई थी, लेकिन उसके बाद से आसमान साफ है। बाकी जिलों में तो बारिश का मीटर शून्य पर ही अटका रहा।

क्यों बदला है मौसम का मिजाज?

मौसम के जानकारों का कहना है कि ये सब 'क्लाइमेट चेंज' यानी जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदलते पैटर्न का नतीजा है। अगर हम पिछले 10 साल का रिकॉर्ड देखें, तो यह पहली बार नहीं है। साल 2016 और 2021 में भी नवंबर पूरी तरह सूखा बीता था। यही वजह है कि पहाड़ों पर और मैदानी इलाकों में तापमान का संतुलन बिगड़ गया है। दिन में तो अच्छी-खासी धूप खिल रही है, लेकिन रात होते ही पारा लुढ़क जाता है।

दिन में गर्मी और रात में ठिठुरन

जरा देहरादून का हाल देखिए—शुक्रवार को यहाँ दिन का तापमान सामान्य से करीब 4 डिग्री ज्यादा यानी 27.6 डिग्री दर्ज किया गया। इतनी तेज धूप की आदत नवंबर के अंत में कम ही होती है। वहीं, रात का तापमान सामान्य से गिरकर 8.7 डिग्री पर आ गया। यानी दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर है, जो सेहत के लिए भी ठीक नहीं माना जाता।

पूरे प्रदेश में कमोबेश यही हाल है। 4 दिसंबर तक मौसम के पूरी तरह शुष्क रहने का अनुमान है। पहाड़ों पर अब 'पाला' गिरना शुरू हो गया है, जबकि मैदानी इलाकों में सुबह-शाम हल्का कोहरा देखने को मिल रहा है। इसलिए, अपनी सेहत का ख्याल रखें और सूखी ठंड से बचकर रहें।