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Up Kiran, Digital Desk: भारत के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित नेता, लालकृष्ण आडवाणी, शनिवार (8 नवंबर) को 98 वर्ष के हो गए। इस खास मौके पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के अन्य नेताओं ने उन्हें दिल से शुभकामनाएं दीं। मोदी ने आडवाणी को एक ऐसे नेता के रूप में सम्मानित किया, जिन्होंने न केवल भारतीय राजनीति में एक लंबा सफर तय किया, बल्कि अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से भारतीय राजनीति के परिदृश्य को बदलकर रख दिया।

प्रधानमंत्री मोदी का आडवाणी के लिए भावुक संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने आडवाणी की बेजोड़ दृष्टि और महान बुद्धिमत्ता की सराहना की और कहा कि आडवाणी ने अपना जीवन भारत की प्रगति के लिए समर्पित कर दिया। मोदी ने आडवाणी की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए उनकी निस्वार्थ सेवा और अटल सिद्धांतों की भी सराहना की।

भाजपा में आडवाणी का ऐतिहासिक योगदान

लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के संस्थापक नेताओं में से एक हैं। उन्होंने 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी। पार्टी के अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में भाजपा ने 1984 में केवल दो सीटों से बढ़कर 1998 में 182 सीटों तक का सफर तय किया। उनका यह योगदान भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुआ।

1991 का चुनाव: आडवाणी बनाम राजेश खन्ना

लालकृष्ण आडवाणी की राजनीतिक यात्रा में 1991 का आम चुनाव बेहद यादगार है। इस चुनाव में उन्होंने नई दिल्ली से बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना को चुनौती दी। यह मुकाबला न केवल एक स्टार और राजनेता के बीच था, बल्कि यह चुनावी इतिहास में एक बेहद नाटकीय और कड़े मुकाबले के रूप में दर्ज हो गया। आडवाणी ने इस चुनाव में राजेश खन्ना को सिर्फ 1,589 मतों के मामूली अंतर से हराया, जो उनकी चुनावी क्षमता और संघर्षशीलता को दर्शाता है।

हालांकि, चुनावी नियमों के अनुसार आडवाणी को केवल एक सीट पर ही बने रहने की आवश्यकता थी, और उन्होंने गांधीनगर सीट पर अपनी जीत को बरकरार रखते हुए नई दिल्ली सीट छोड़ दी। इस चुनावी मुकाबले ने भारतीय राजनीति और फिल्मी दुनिया का मिश्रण दिखाया, जिसे लोगों ने एक अनोखे रूप में देखा।

आडवाणी का संसद में प्रवेश और लंबा सफर

आडवाणी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राज्यसभा से की, जहां वे 1970 से लेकर 1989 तक चार कार्यकाल तक चुने गए। 1989 में उन्होंने लोकसभा में अपनी यात्रा शुरू की और कई कार्यकालों तक गांधीनगर का प्रतिनिधित्व किया। उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक निर्णायक नेता बना दिया।

भाजपा के अध्यक्ष के रूप में आडवाणी का योगदान

आडवाणी की नेतृत्व में, भाजपा ने न केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को आकार दिया, बल्कि देशभर में पार्टी की पहचान भी मजबूत की। उनका नेतृत्व भाजपा के लिए एक नई दिशा लेकर आया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाई।

सरकार में आडवाणी का प्रभावशाली योगदान

आडवाणी ने भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे 1998 से 2004 तक गृह मंत्री के पद पर रहे, और इसके बाद 2002 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। आडवाणी का नाम पोखरण-II परमाणु परीक्षण और लाहौर बस सेवा जैसे ऐतिहासिक निर्णयों से जुड़ा है।