
Up Kiran, Digital Desk: शनिदेव का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मन में एक डर बैठ जाता है. साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान मिलने वाले कष्टों से हर कोई बचना चाहता है. अगर आप भी शनि के प्रकोप से परेशान हैं या अपनी कुंडली में शनि को मजबूत करना चाहते हैं, तो 4 अक्टूबर 2025 का दिन आपके लिए बहुत खास है. इस दिन शनिवार होने के कारण
शनि प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो शनिदेव की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम दिनों में से एक माना जाता है.
क्या होता है प्रदोष व्रत: हर महीने की त्रयोदशी तिथि (तेरस) को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तो इसे 'शनि प्रदोष' कहते हैं. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की पूजा करने से भक्तों को दोगुना फल मिलता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभावों में कमी करते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त (4 अक्टूबर, 2025)पूजा का समय: शनिवार, 4 अक्टूबर को शाम 06:14 बजे से रात 08:38 बजे तक रहेगा.
अवधि: लगभग 2 घंटे 24 मिनट.
इस समय के दौरान भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करना सबसे फलदायी माना गया है.
साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए क्या करें?
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं: इस दिन शाम के समय तांबे के लोटे में जल, काले तिल और थोड़े से गुड़ को मिलाकर शिवलिंग पर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए चढ़ाएं. इससे भगवान शिव और शनिदेव दोनों की कृपा मिलती है.
पीपल के पेड़ की पूजा: शाम को पूजा के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. माना जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कष्टों को दूर करते हैं.
छाया दान करें: एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर इस तेल को किसी जरूरतमंद को दान कर दें. इसे 'छाया दान' कहते हैं और यह शनि के दुष्प्रभावों को कम करने का अचूक उपाय माना जाता है.
काली चीजों का दान: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को काली दाल, काले तिल, काले कपड़े या लोहे से बनी चीजों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
शनि प्रदोष का व्रत न केवल शनि के कष्टों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि संतान प्राप्ति और नौकरी-व्यापार में सफलता के लिए भी बहुत असरदार माना जाता है.