img

Up Kiran, Digital Desk: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं - अमेरिका और चीन - के बीच तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। खास तौर पर जब बात अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और अगले चुनाव के बड़े दावेदार डोनाल्ड ट्रम्प की हो, तो बड़े फैसले हैरान कर देने वाले ही होते हैं। हाल ही में ट्रम्प ने चीन को एक बड़ा झटका दिया है—उन्होंने चीन से आने वाले कई सामानों पर 100% अतिरिक्त शुल्क (Additional Tariff) लगा दिया है।

ट्रम्प के इस कदम से वैश्विक बाज़ार में एक बार फिर से 'व्यापार युद्ध' (Trade War) के बढ़ने की चिंता फैल गई है। 100% का यह टैरिफ दर बताता है कि ट्रम्प प्रशासन अब चीनी आयात पर सख्ती बरतने वाला है।

विरोध भी और बातचीत भी: ट्रम्प का 'ड्यूल' दांव

दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ इतना बड़ा टैरिफ लगाकर ट्रम्प ने अपनी व्यापार नीति की 'सख्ती' साफ कर दी है, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने नरमी का एक छोटा संकेत भी दिया है। उन्होंने साफ़ किया है कि उन्होंने अभी भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ होने वाली अपनी कोई भी बैठक (Meeting) रद्द नहीं की है।

इस अजीबोगरीब स्थिति के पीछे उनकी चुनावी रणनीति भी हो सकती है। डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा से यही दिखाना चाहते हैं कि वह अमेरिका के हितों को सबसे ऊपर रखते हुए, चीन को आर्थिक मामलों में दबाव में ला सकते हैं।

सख्ती का संदेश:100% शुल्क यह दिखाता है कि चीन पर उनका पुराना स्टैंड आज भी कायम है— वह अमेरिका को व्यापार में 'घाटे' से बचाना चाहते हैं।

राजनयिक दरवाजा खुला:शी जिनपिंग से बातचीत को रद्द न करने का फैसला यह दिखाता है कि वे अमेरिका-चीन के संबंधों को बातचीत के रास्ते से पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहते। वह विरोध के साथ बातचीत का दरवाजा भी खोल कर रख रहे हैं, जो एक जटिल और दबाव वाली कूटनीति का हिस्सा है।

इससे यह स्पष्ट है कि भले ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गरमाहट बनी हुई हो, लेकिन संवाद (बातचीत) की खिड़की दोनों देश अभी भी बंद नहीं करना चाहते। बाज़ार को अब इसी बात पर ध्यान देना होगा कि ट्रम्प का अगला कदम क्या होगा और इसका ग्लोबल व्यापार पर कैसा असर पड़ेगा।