img

Up Kiran, Digital Desk: इस साल भूत चतुर्दशी यानी काली चौदस का पर्व रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन खासतौर पर देवी काली और वीर वेताल को समर्पित होता है। अंधकार, बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा की कामना के लिए यह रात बेहद खास मानी जाती है।

काली चौदस तिथि: रविवार, 19 अक्टूबर 2025

पूजा का शुभ समय: रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक (20 अक्टूबर)

चतुर्दशी तिथि आरंभ: दोपहर 1:51 बजे, 19 अक्टूबर

समाप्ति: 3:44 अपराह्न, 20 अक्टूबर

क्यों जलाए जाते हैं 14 दीपक? जानिए "छोड़ो प्रोदीप" की परंपरा

भूत चतुर्दशी की रात एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है — 14 मिट्टी के दीये जलाना। इन्हें बंगाल में "छोड़ो प्रोदीप" कहा जाता है। ये दीपक घर के दरवाज़ों, खिड़कियों, आंगन, तुलसी के पास और कोनों में सजाए जाते हैं।

माना जाता है कि यह रोशनी पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाती है और बुरी शक्तियों को दूर रखती है।

बंगाल में कैसे मनाते हैं भूत चतुर्दशी?

पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इस पर्व को बेहद श्रद्धा से मनाया जाता है। यह रात भूतों, आत्माओं और पूर्वजों की याद में समर्पित होती है।

सुबह लोग जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और शाम की पूजा की तैयारियाँ शुरू होती हैं।
शाम को की जाती है विशेष पूजा:

देवी काली

यमराज (मृत्यु के देवता)

भगवान शिव, विष्णु, हनुमान और कृष्ण

घर की शुद्धि, आत्मा की शांति और बुरी ऊर्जा को दूर करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

आध्यात्मिक महत्व: क्यों मनाना चाहिए यह त्योहार?

भूत चतुर्दशी न सिर्फ डरावनी कहानियों से जुड़ी है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक संदेश भी है — अंधकार पर प्रकाश की विजय।

इस रात देवी काली की उपासना करने से:

घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है

पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है

बुरी आत्माएँ और डरावनी शक्तियाँ दूर रहती हैं