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Rahul Gandhi leader of opposition: कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उभरे हैं। ये दस साल में पहली बार है जब किसी प्रमुख विपक्षी नेता ने मोदी सरकार को सीधे चुनौती दी है। अब वह विपक्ष के नेता के रूप में कई महत्वपूर्ण मुद्दों में खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। इस बीच, राहुल गांधी की शैली में जबरदस्त बदलाव आया है। पिछले कुछ महीनों में निरंतर सफेद टी-शर्ट में साधारण से दिखाई देने के बाद, वह फिर से सफेद कुर्ता-पायजामा पहनने लगे हैं।

राहुल गांधी के लिए पोशाक में बदलाव आसान लग रहा है, लेकिन उन पर चुनौतियां और जिम्मेदारी का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा पाएंगे।

दरअसल, राहुल गांधी ने 25 वर्षों तक राजनीति में सक्रिय रहने के बावजूद कभी कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला है। यह पहली बार है जब वह औपचारिक नेतृत्व की भूमिका में कदम रख रहे हैं। विपक्षी नेता के रूप में उनकी प्रभावशीलता अब संसदीय नियमों को समझने और विपक्ष को मजबूत करने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगी।

इस चुनौती का दूसरा पहलू ये है कि राहुल गांधी जोश में आकर बोलते हैं, कभी-कभी जरूरत से ज्यादा, जिसकी वजह से उनके खिलाफ विवाद भी होते हैं। विपक्ष के नेता के तौर पर उन्हें सिर्फ तैयार बयान पढ़ने या तीखे हमले करने से ज्यादा कुछ करना होगा; विपक्ष के नेता की भूमिका संभालने के बाद भी अपनी छाप छोड़ने के लिए तथ्य और तर्कपूर्ण दलीलें पेश करना जरूरी होगा।

इस बार विपक्षी एकता बनाए रखना भी अहम होगा। मोदी सरकार के पास भले ही अपने दम पर पूर्ण बहुमत न हो, लेकिन वह एनडीए में अपने सहयोगियों के समर्थन से सरकार चला सकती है। हालांकि, इंडिया अलायंस के भीतर संभावित दरार राहुल गांधी की चुनौतियों को और बढ़ा सकती है। विपक्ष के नेता की भूमिका ऐसी होती है जहां सफल विपक्ष का श्रेय दिया जाता है लेकिन विफलताओं की तीखी आलोचना भी होती है। इस प्रकार, राहुल गांधी के सामने एक बड़ी चुनौती है।

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