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Up Kiran, Digital Desk: बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक विजयादशमी के मौके पर गुरुवार को पूरे पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा को भावभीनी विदाई दी गई. पांच दिनों तक चले दुर्गा पूजा उत्सव का समापन हो गया, लेकिन इसका उल्लास और भक्ति का रंग हर तरफ बिखरा रहा. हालांकि, राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश ने पंडाल घूमने वालों और विसर्जन के जश्न में थोड़ा खलल डाला, लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ.

सिंदूर खेला की अद्भुत रस्म

विसर्जन से पहले, बंगाल की दुर्गा पूजा का सबसे खूबसूरत और जीवंत रिवाज 'सिंदूर खेला' मनाया गया. पंडालों में विवाहित महिलाएं पारंपरिक लाल-बॉर्डर वाली सफेद साड़ियों में इकट्ठा हुईं और उन्होंने मां दुर्गा को पान के पत्तों से सिंदूर अर्पित किया. इसके बाद, उन्होंने एक-दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाकर सुखी और लंबे वैवाहिक जीवन की कामना की. ढोल की थाप और शंख की ध्वनि के बीच यह रस्म एक खूबसूरत और भावनात्मक उत्सव में बदल गई.

"अगले बरस तू फिर से आना माँ!"

दोपहर होते-होते, "असचे बोछोर अबार होबे!" (अगले बरस फिर आना!) के जयकारों के साथ मां दुर्गा की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाया गया. ट्रक और ट्रैक्टरों पर निकलीं इन विसर्जन यात्राओं में लोग नाचते-गाते हुए हुगली नदी और अन्य जलाशयों के घाटों तक पहुंचे. नम आंखों से भक्तों ने अपनी प्रिय देवी को विदा किया और उनसे अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना की. कोलकाता पुलिस और प्रशासन ने विसर्जन के लिए घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो.

बारिश ने डाला रंग में भंग

विजयादशमी के दिन भी लोग आखिरी बार पंडाल घूमने (Pandal Hopping) के लिए निकले थे, लेकिन कोलकाता सहित दक्षिण बंगाल के कई हिस्सों में हुई बारिश ने उनके प्लान पर पानी फेर दिया. इसके बावजूद, लोगों ने मिठाइयां बांटकर और एक-दूसरे को 'शुभो बिजॉय' कहकर शुभकामनाएं दीं.

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने भी इस अवसर पर राज्य के लोगों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं. यह त्योहार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बंगाल की संस्कृति और सामाजिक एकता का सबसे बड़ा उत्सव है.