img

Up Kiran, Digital Desk: लिवर कैंसर, दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है, जिसकी शुरुआती पहचान करना अक्सर मुश्किल और महंगा होता है। लेकिन, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने इस चुनौती का समाधान खोज निकाला है। उन्होंने एक ऐसा सरल और किफायती सेंसर विकसित किया है, जो रक्त के नमूने से लिवर कैंसर का पता लगाने में सक्षम है।

यह नया सेंसर रक्त में एस्पार्टेट एमिनोट्रांस्फेरेज़ (AST) नामक एंजाइम की उपस्थिति का पता लगाकर काम करता है। AST एंजाइम, आमतौर पर लिवर की कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है, लेकिन जब लिवर को क्षति पहुँचती है या उसमें कैंसर कोशिकाएं बनती हैं, तो यह एंजाइम रक्तप्रवाह में लीक हो जाता है। रक्त में इस एंजाइम के बढ़े हुए स्तर लिवर की समस्याओं या कैंसर का संकेत देते हैं।

वर्तमान में लिवर कैंसर का पता लगाने के लिए उपयोग की जाने वाली विधियाँ अक्सर महंगी, समय लेने वाली होती हैं और उन्हें विशेष प्रयोगशाला उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, IISc द्वारा विकसित यह सेंसर एक 'पॉइंट-ऑफ-केयर' (Point-of-Care) डिवाइस है, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग प्रयोगशाला के बाहर, सीधे मरीजों की देखभाल वाली जगह पर किया जा सकता है। यह तेज़, सटीक, संवेदनशील, किफायती और पोर्टेबल है, और इसे संचालित करना भी बेहद आसान है, जिससे शुरुआती पहचान में बड़ी मदद मिलेगी।

इस सेंसर को विकसित करने वाली टीम में IISc के सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड इंजीनियरिंग (CeNSE) के शोधकर्ता शामिल थे। उन्होंने एक 'लैब-ऑन-अ-चिप' डिवाइस का उपयोग किया, जिसमें एक विशेष इलेक्ट्रोड होता है। यह इलेक्ट्रोड AST एंजाइम की उपस्थिति में विद्युत धारा में बदलाव का पता लगाता है, जो एंजाइम की सांद्रता को इंगित करता है।

इस शोध का नेतृत्व पोस्टडॉक्टोरल फेलो बालाजी कौंडिन्या ने प्रोफेसर सूर्यासरधी पी और प्रोफेसर प्रवीण सी. राममूर्ति के मार्गदर्शन में किया। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में नैदानिक ​​परीक्षणों और व्यावसायिक उत्पादन के बाद यह सेंसर लिवर कैंसर से लड़ने में एक गेम-चेंजर साबित होगा, जिससे समय पर निदान और उपचार संभव हो पाएगा।

--Advertisement--