
Up Kiran, Digital Desk: विश्व शतरंज में इस वक्त एक बड़ी बहस छिड़ गई है। शतरंज के महानतम खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पारोव ने विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन और भारतीय युवा सनसनी डी. गुकेश के बीच हाल ही में हुए मुकाबले को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया है। कास्पारोव का दावा है कि गुकेश की जीत सिर्फ उनकी प्रतिभा का कमाल नहीं, बल्कि कहीं न कहीं कार्लसन के "इरादों" का भी नतीजा थी।
कास्पारोव ने कार्लसन की हार के बाद, उनके खेलने के इरादों पर संदेह व्यक्त किया है। उन्होंने संकेत दिया कि मैग्नस ने जानबूझकर गुकेश के खिलाफ अपनी पकड़ ढीली की, या शायद उतना गंभीर होकर नहीं खेला जितना उन्हें खेलना चाहिए था। यह टिप्पणी तब आई है जब मैग्नस कार्लसन, जो अपनी एकाग्रता और खेल के प्रति अपनी गंभीरता के लिए जाने जाते हैं, को गुकेश ने ग्रैंड चेस टूर में हराया था।
कास्पारोव के अनुसार, यह सिर्फ एक मैच हारना नहीं था, बल्कि यह दर्शाता है कि गुकेश जैसे युवा खिलाड़ियों ने मैग्नस की उस बादशाहत और सर्वोच्चता को सचमुच हिला दिया है, जो उन्होंने वर्षों से कायम रखी थी। उन्होंने कहा कि गुकेश ने मैग्नस को "मानसिक रूप से चुनौती" दी है और यह साबित कर दिया है कि नई पीढ़ी के खिलाड़ी विश्व चैंपियन को भी हराने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के नतीजे शतरंज के खेल के लिए अच्छे हैं क्योंकि वे युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब डी. गुकेश ने ग्रैंड चेस टूर में अपनी शानदार जीत के साथ एकल बढ़त बना ली है। उनकी यह जीत और उस पर कास्पारोव की टिप्पणी भारतीय शतरंज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो विश्वनाथन आनंद के बाद भारतीय खिलाड़ियों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
कास्पारोव के इस बयान ने शतरंज की दुनिया में एक नई बहस छेड़ दी है, और सभी की निगाहें अब मैग्नस कार्लसन और युवा डी. गुकेश के भविष्य के मुकाबलों पर टिकी होंगी। यह दिखाता है कि शतरंज की दुनिया में एक नई पीढ़ी मजबूती से अपनी जगह बना रही है।
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