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अमेरिका और रूस के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ता जा रहा है, और इस खिंचाव के बीच भारत का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने जो भारी टैरिफ लगाया है, उसने रूसी अर्थव्यवस्था को "गहरी चोट" दी है। ट्रंप ने भारत को रूस का "सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा" तेल ग्राहक बताया।

राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब वे अगले हफ्ते अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की तैयारी कर रहे हैं। इस बैठक को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगाहें टिकी हैं, लेकिन ट्रंप का फोकस इस वक्त अमेरिकी व्यापार नीतियों के जरिए रूस पर डाले जा रहे आर्थिक दबाव पर है।

रूस की आर्थिक स्थिति पर ट्रंप की टिप्पणी

ट्रंप ने साफ कहा कि रूस की अर्थव्यवस्था इस समय कमजोर स्थिति में है और अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों का असर वहां साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा, “रूस एक विशाल देश है, जिसमें आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन मौजूदा समय में उसकी आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है। टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय दबावों ने उसकी हालत बिगाड़ दी है।”

उन्होंने आगे कहा कि जब अमेरिका अपने किसी प्रमुख रणनीतिक साझेदार को चेतावनी देता है कि यदि वह रूस से तेल खरीदेगा तो उस पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, तो इसका असर सीधा रूस पर पड़ता है। ट्रंप के इस बयान को भारत को लेकर दिए गए संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

भारत पर प्रभाव और रणनीतिक द्वंद्व

ट्रंप प्रशासन ने पहले ही भारत पर 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था। अब रूस से तेल आयात करने पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क जोड़ा गया है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इस कदम का सीधा असर भारत की ऊर्जा आपूर्ति लागत पर पड़ सकता है, वहीं इससे रूस की तेल बिक्री में भी कमी आ सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति अमेरिका की रूस पर रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश का हिस्सा है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भारत जैसे देशों को भी झेलने पड़ सकते हैं, जो ऊर्जा के लिए रूस पर निर्भर हैं।

ट्रंप-पुतिन बैठक की उम्मीदें

राष्ट्रपति ट्रंप ने पुष्टि की है कि वे शुक्रवार को अलास्का में व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे। इस मुलाकात को "रचनात्मक संवाद" के तौर पर देखा जा रहा है। ट्रंप ने इस बात को भी सराहा कि पुतिन इस बार अमेरिका आ रहे हैं, बजाय इसके कि अमेरिका उनके देश जाए या कोई तीसरा देश चुना जाए।

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