img

Up Kiran, Digital Desk: रविवार सुबह एक नाटकीय घटनाक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के तहत ईरान की प्रमुख परमाणु सुविधाओं को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जवाबी कदम उठाने की कोशिश की तो परिणाम बेहद गंभीर होंगे।

ट्रंप के बयान से कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्रों  फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान पर सटीक और संगठित हमले किए। ये स्थान ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुख्य केंद्र माने जाते हैं।

अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई, भारी हथियारों का इस्तेमाल

इन हमलों में अमेरिका ने GBU-57 नामक विशेष बमों का इस्तेमाल किया, जिनका वजन लगभग 30,000 पाउंड होता है और जिन्हें गहराई में बने संरक्षित ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन बमों को B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से गिराया गया, जो केवल अमेरिका के पास हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह पहला मौका है जब GBU-57 का किसी सैन्य संघर्ष में प्रत्यक्ष उपयोग हुआ है।

ईरान के अधिकारियों ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि भले ही संरचनात्मक क्षति हुई है, लेकिन उनका परमाणु कार्यक्रम रुकने वाला नहीं है। उन्होंने इस कार्रवाई को अपने देश की संप्रभुता पर हमला बताया और अमेरिका-इज़राइल के "द्वेषपूर्ण गठजोड़" की आलोचना की।

ट्रंप का कड़ा रुख: 'या तो शांति, या तबाही'

ट्रंप ने हमलों की पुष्टि पहले ट्रुथ सोशल पर की और फिर व्हाइट हाउस से जारी अपने भाषण में कहा कि ईरान के सामने अब एक सीधा विकल्प है — या तो वह शांति का रास्ता चुने, या फिर और भी बड़ी तबाही के लिए तैयार रहे। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका के पास अभी और भी रणनीतिक लक्ष्य बचे हुए हैं, जो आगे की कार्रवाई में शामिल हो सकते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि यह ऑपरेशन इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ आपसी सहमति और समन्वय से किया गया। नेतन्याहू ने ट्रंप की सराहना करते हुए उन्हें इज़रायल के सबसे मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों में से एक बताया।

ईरान की प्रतिक्रिया: 'हम पीछे नहीं हटेंगे'

भारी नुकसान के बावजूद, तेहरान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसके वैज्ञानिक अपने मिशन से पीछे नहीं हटेंगे। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने कहा कि हजारों वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ इस लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं, और यह कार्यक्रम किसी दबाव में रुकने वाला नहीं है।

ईरान ने इस हमले को अपने "परमाणु शहीदों" के अपमान के रूप में देखा और इसके जवाब में आगे की रणनीति पर काम कर रहा है।

--Advertisement--