
Up Kiran, Digital Desk: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव, एस. अप्पाला नायडू ने स्पष्ट किया है कि जिन बुजुर्ग माता-पिता की उनके बच्चे देखभाल नहीं करते, वे कानूनी रूप से उनसे गुजारा भत्ता (maintenance) पाने के हकदार हैं।
'विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस' (15 जून) के अवसर पर, कार्लपालेम मंडल में स्थित MVR वृद्धाश्रम में एक कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए, श्री नायडू ने 'माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007' के प्रावधानों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत, उपेक्षित माता-पिता अपने क्षेत्र के राजस्व मंडल अधिकारी (RDO) या सब-कलेक्टर के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। RDO को यह अधिकार है कि वह बच्चों को अपने माता-पिता को हर महीने 10,000 रुपये तक का गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकते हैं। यदि बच्चे इस आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें जेल की सज़ा भी हो सकती है।
श्री नायडू ने एक और महत्वपूर्ण बात बताई कि यह कानून उन माता-पिता की भी रक्षा करता है, जिन्होंने अपनी संपत्ति अपने बच्चों के नाम कर दी है। अगर बच्चे संपत्ति लेने के बाद उनकी देखभाल और बुनियादी सुविधाएं देना बंद कर देते हैं, तो माता-पिता की शिकायत पर संपत्ति का हस्तांतरण (ट्रांसफर) रद्द भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि DLSA जरूरतमंद बुजुर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार है। इस कार्यक्रम में अधिवक्ता पी. सांबशिव राव, बी. अंजनेयुलु और वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने भी भाग लिया।
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