img

राजस्थान के झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूल की छत गिरने की भयावह घटना ने पूरे प्रदेश को गहरे सदमे में डाल दिया। इस दुर्घटना में सात मासूम बच्चों की जान चली गई, जिससे न केवल परिवार टूटे बल्कि सरकार की जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठने लगे। यह हादसा सिर्फ एक इमारत की कमजोरी नहीं, बल्कि हमारे शिक्षा तंत्र और बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है।

करौली जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नंबर-5 की खराब स्थिति इस बात की गवाही देती है कि कितनी अनदेखी हो रही है। 1963 से अस्तित्व में इस स्कूल की तीसरी मंजिल की दीवारें टूट-फूट की हालत में हैं, जबकि छतें भी बच्चों की जान के लिए खतरा बनी हुई हैं। वर्षा के मौसम में यहां पढ़ने वाले करीब 150 बच्चे और शिक्षक हर पल किसी हादसे का डर लेकर रहते हैं।

अचरज की बात यह है कि इस खतरनाक स्थिति को लेकर कई बार स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने शिक्षा विभाग तथा बिजली विभाग को आगाह किया, लेकिन विभागों की उदासीनता ने इस त्रासदी को जन्म दिया। स्कूल की चारदीवारी के पास से गुजरते बिजली के तार बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुए, फिर भी सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए।

यहां तक कि बिजली के पोल के कारण कई बार करंट के झटके बच्चों को लगे, जो इस बात का सबूत है कि प्रशासन ने समस्या की गंभीरता को नजरअंदाज किया। सरकारी विभागों की यह अनदेखी सिर्फ एक स्कूल की समस्या नहीं, बल्कि पूरे सरकारी स्कूल तंत्र की विसंगति को दर्शाती है।

--Advertisement--