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Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड के चकराता विधानसभा क्षेत्र के त्यूणी इलाके के लगभग एक दर्जन गांवों में हाल के वर्षों में जनसांख्यिकी बदलाव को लेकर स्थानीय निवासियों में गहरी चिंता व्याप्त है। क्षेत्र में बाहरी खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों की अचानक से बढ़ती संख्या और कथित "सेटिंग गेटिंग" के तहत जमीनों को अपने नाम कराने की प्रक्रिया ने ग्रामीणों को अपने पारंपरिक अधिकारों को लेकर आशंकित कर दिया है।

नियमों के अनुसार जनजातीय समुदाय के लोगों की जमीनें गैर-जनजातीय व्यक्तियों द्वारा नहीं खरीदी जा सकती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगभग 40 साल पहले वन गुर्जरों के रूप में इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोगों का आगमन हुआ था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। यह स्थिति मुख्य रूप से देहरादून जिले के त्यूणी क्षेत्र और उत्तरकाशी जिले के बंगाण क्षेत्र में देखने को मिल रही है। अब ग्रामीण इन जमीनों पर हुए कब्जों की जांच और उन्हें मुक्त कराने की मांग कर रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का यह भी मानना है कि क्षेत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू न होने के कारण भी बाहरी लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। पड़ताल में ऐसे व्यक्तियों की जानकारी भी सामने आई है जिनके 16 बच्चे हैं। जब हमारे संवाददाता ने मुस्लिम बस्ती में पहुंचकर इन लोगों से इस बारे में बातचीत करने का प्रयास किया कि जनजातीय क्षेत्र होने और जमीनों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध होने के बावजूद उन्होंने कैसे जमीनें अपने नाम कराईं तो उनके पास कोई संतोषजनक उत्तर नहीं था।

अब क्षेत्र की जनता इस जनसांख्यिकी परिवर्तन और जमीनों को गलत तरीके से अपने नाम कराने के मुद्दे पर सक्रिय हो गई है। ग्रामीण मुखर होकर अपनी आवाज उठा रहे हैं और जगह-जगह बैठकों का दौर जारी है। उनकी मुख्य मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो अवैध रूप से कब्जाई गई जमीनों को खाली कराया जाए और इन जमीनों से संबंधित बनाए गए दस्तावेजों को तत्काल निरस्त किया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि एक महीने के भीतर उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे एक बड़ा जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

रूद्र सेना के संस्थापक राकेश तोमर ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार गलत तरीके से दर्ज हुई जमीनों और तैयार किए गए दस्तावेजों को लेकर क्या कार्रवाई करती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने इन दस्तावेजों को तैयार करने में भूमिका निभाई यह देखना भी दिलचस्प होगा। क्षेत्र में बढ़ते तनाव और ग्रामीणों की सक्रियता को देखते हुए यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है।

इस मामले में पहले ही आशंका के आधार पर कविता के भाई दीपक लक्षकार टोंक निवासी ओमप्रकाश गुर्जर जालौर निवासी गणपत विश्नोई जयपुर निवासी राम रतन टोंक के रामचंद्र मीणा और जयपुर के पुरुषोत्तम लखेरा को आरोपी बनाया जा चुका है। एसओजी की गहन जांच में मोबाइल चैट और बैंक लेनदेन की पड़ताल से पूरे पेपर लीक नेटवर्क का खुलासा हुआ है।

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