Up kiran,Digital Desk : महाराष्ट्र में लंबे समय से रुके हुए नगर निगम चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. बीती रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच एक बंद कमरे में अहम बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और मंत्री रवींद्र चव्हाण भी मौजूद थे. इस मीटिंग में एक ऐसा फैसला लिया गया है जो विपक्ष की टेंशन बढ़ा सकता है. खबर है कि मुंबई और ठाणे समेत पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना मिलकर 'महायुति' के बैनर तले चुनाव लड़ेंगी.
अब कोई दलबदल नहीं, पार्टी बदलने पर लगी रोक
इस बैठक में एक और बड़ा और दिलचस्प फैसला हुआ. अब बीजेपी का कोई नेता या कार्यकर्ता शिंदे की शिवसेना में नहीं जाएगा और न ही शिवसेना का कोई सदस्य बीजेपी में शामिल हो सकेगा. यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन में कोई मनमुटाव न हो, अंदरूनी तनाव कम हो और सब मिलकर एक टीम की तरह काम करें.
असली काम अब शुरू, सीटों पर होगी बात
तो अब आगे क्या होगा? बताया जा रहा है कि अगले दो-तीन दिनों में सीटों के बंटवारे पर असली काम शुरू हो जाएगा. स्थानीय स्तर पर नेता बैठेंगे और यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी किस नगर निगम में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उम्मीदवार कौन होगा और चुनाव जीतने की रणनीति क्या होगी.
टक्कर सीधी: 'महायुति' बनाम ‘महा विकास आघाड़ी’
- एक तरफ है सत्ताधारी 'महायुति', जिसमें बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है.
- दूसरी तरफ है विपक्षी 'महा विकास आघाड़ी', जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी है.
यह सिर्फ शहरों का चुनाव नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि महाराष्ट्र की जनता का असली समर्थन किसके साथ है, खासकर मुंबई और ठाणे जैसे गढ़ों में, जहां की सत्ता को महाराष्ट्र की सत्ता की चाबी माना जाता है. यह बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि राज्य में नगर निगम के चुनाव काफी समय से टल रहे हैं. अब जब चुनाव का बिगुल बजने वाला है, तो बीजेपी और शिंदे गुट मिलकर यह दिखाना चाहते हैं कि वे कितने मजबूत और एकजुट हैं
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