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Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में इस समय एक अजीब सी स्थिति है – एक तरफ पेरियार और वैगई बांध लबालब भरे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी फसलों के लिए नहरों में जल्द पानी छोड़ने की गुहार लगा रहे हैं। पानी की प्रचुरता के बावजूद, किसान चिंतित हैं क्योंकि अगर समय पर पानी नहीं मिला, तो उनकी 'कुरुवई' धान की फसल बर्बाद हो सकती है।

दरअसल, थेनी, मदुरै, डिंडीगुल और रामनाथपुरम जिलों के हजारों किसान चाहते हैं कि इन बांधों से 1 अगस्त से ही पानी छोड़ा जाए। उनकी मांग 'कुरुवई' धान की खेती के लिए है, जो इस क्षेत्र की मुख्य फसल है। आमतौर पर, इन बांधों से पानी सितंबर की पहली तारीख को छोड़ा जाता है। लेकिन किसान कहते हैं कि अगर पानी देर से छोड़ा गया, तो उनकी 'कुरुवई' की फसल बर्बाद हो जाएगी, क्योंकि बुवाई और रोपण का चक्र बिगड़ जाएगा।

सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के आंकड़ों के अनुसार, पेरियार बांध का जलस्तर इस समय 139.75 फीट तक पहुंच गया है, जबकि इसकी अधिकतम क्षमता 142 फीट है। वहीं, वैगई बांध भी 66.82 फीट पर है, जो अपनी 71 फीट की पूरी क्षमता के करीब है। दोनों बांधों के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई अच्छी बारिश के कारण पानी का लगातार और भारी प्रवाह हो रहा है, जिससे ये तेजी से भर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि बांधों में इतना पानी होने के बावजूद अगर उन्हें समय पर नहीं मिला, तो यह उनकी कड़ी मेहनत और निवेश को व्यर्थ कर देगा। वे जोर दे रहे हैं कि सरकार को उनकी मांग सुननी चाहिए, क्योंकि इससे न केवल फसल बचेगी, बल्कि क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

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