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Up Kiran, Digital Desk: बारिश की फुहारों के साथ गर्मागर्म चावल और मसालेदार मछली की थाली एक अलग ही सुकून देती है। मछली प्रेमियों के लिए ये मौसम किसी त्योहार से कम नहीं होता। लेकिन इस स्वाद के चक्कर में कहीं आप ऐसी मछली तो नहीं खा रहे जो आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है?

जी हां, बात हो रही है थाई मांगुर मछली की। ये मछली दिखने में आमतौर पर मिलने वाली कैटफिश जैसी लगती है, लेकिन इसके पीछे छिपा सच चौंकाने वाला है। भारत में इस मछली पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, इसके बावजूद कुछ इलाकों में ये चोरी-छिपे बिकती है और लोग अनजाने में इसे खा भी लेते हैं।

क्यों है थाई मांगुर पर बैन?

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की फिशरीज डिपार्टमेंट की असिस्टेंट डायरेक्टर, डॉ. प्रियंका आर्या बताती हैं कि थाई मांगुर मछली इंसानों और जलीय जीवन दोनों के लिए बेहद खतरनाक है। इसमें ऐसे केमिकल पाए जाते हैं जो शरीर में टॉक्सिन्स फैलाकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। यही वजह है कि इसे 'कैंसरकारक मछली' भी कहा जाता है।

सरकार ने न सिर्फ इसके सेवन बल्कि पालन और बिक्री पर भी सख्त पाबंदी लगाई है। बावजूद इसके, कुछ व्यापारी मुनाफे के लालच में इसे बाज़ार में बेचने से बाज नहीं आते।

पर्यावरण को भी नुकसान

साल 2000 में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने थाई मांगुर पर बैन लगाने का आदेश दिया था। यह मछली भारत में बाहर से लाई गई थी और इसका व्यवहार शिकार करने वाला होता है। ये दूसरी मछलियों को खा जाती है, जिससे न सिर्फ जलीय जैव विविधता को नुकसान होता है, बल्कि स्थानीय प्रजातियां भी विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही हैं।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, जहां थाई मांगुर का पालन हुआ, वहां की स्थानीय मछलियों की संख्या में 70 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट एक बड़े इकोलॉजिकल संकट की ओर इशारा करती है।

कैसे होती है यह मछली तैयार?

इस मछली को पालने के लिए मछुआरे सड़ा हुआ मांस, पत्तेदार सब्जियां और अन्य अवांछित चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। इससे न सिर्फ मछलियां विषैली हो जाती हैं, बल्कि तालाबों और जलाशयों का पानी भी प्रदूषित हो जाता है। ये मछली पानी में मौजूद अन्य जीवों के लिए भी खतरा बन जाती है, क्योंकि इसके शरीर में मौजूद परजीवी दूसरे जीवों में बीमारी फैला सकते हैं।

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