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Up Kiran, Digital Desk: देशभर में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस खास दिन की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगा फहराना। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर तिरंगा सिर्फ लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है? क्या ताजमहल या फतेहपुर सीकरी जैसी अन्य ऐतिहासिक मुगल इमारतों पर तिरंगा फहराना संभव नहीं है? आइए इस सवाल का इतिहास और उसके पीछे की गहराई को समझते हैं।

लाल किला क्यों है स्वतंत्रता दिवस समारोह का केंद्र?

लाल किला 17वीं सदी में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया था। यह किला न केवल उस समय की सम्राट की सत्ता का प्रतीक था, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता था। भारत के इतिहास में लाल किले का विशेष स्थान इसलिए भी है क्योंकि यह मुगल साम्राज्य की राजधानी रहा और ब्रिटिश राज से आजादी मिलने तक सत्ता का मुख्य केंद्र बना रहा।

जब 1947 में भारत आजाद हुआ, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार ब्रिटिश झंडा हटाकर भारतीय तिरंगा फहराया। यह क्षण आज़ादी का प्रतीक बन गया और तब से हर स्वतंत्रता दिवस पर इसी स्थान से तिरंगा फहराने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए लाल किला सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की यादें और भारत की आज़ादी की भावना का जीवंत प्रतीक है।

राष्ट्रीय पहचान और लाल किले का महत्व

दिल्ली में स्थित यह किला न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि भारत की एकता और राष्ट्रीय गर्व की निशानी भी है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां की कई घटनाएं देश के लिए यादगार बनीं। जबकि ताजमहल और फतेहपुर सीकरी जैसे स्थल मुख्यतः स्मारक और पर्यटन स्थल हैं, लाल किला राष्ट्रीय समारोहों और शासकीय आयोजनों के लिए उपयुक्त मंच प्रदान करता है। इसकी विशाल प्राचीर और दीवान-ए-आम जैसी जगहें सार्वजनिक समारोहों के लिए आदर्श हैं, जिससे यह समारोहों का केंद्र बना रहता है।

लाल किले का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व

लाल किला, जिसे किला-ए-मुबारक भी कहा जाता है, का निर्माण कार्य 1638 में शुरू हुआ और लगभग 10 वर्षों में पूरा हुआ। इसे 2007 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी। यह किला केवल इतिहास का हिस्सा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आधुनिक भारत की जीवंतता का भी प्रतीक है। स्वतंत्रता दिवस के अलावा यहां साल भर कई सांस्कृतिक और राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं।