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2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था।  भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की, जबकि पाकिस्तान ने ड्रोन हमले किए।  इस बीच, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम स्थापित करने में मध्यस्थता की।  हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह संघर्ष विराम पाकिस्तान की सेना की ओर से की गई पहल के परिणामस्वरूप हुआ था, न कि किसी बाहरी मध्यस्थता के कारण।  

इस घटनाक्रम में ट्रंप के परिवार के सदस्य एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर की भी कथित भूमिका सामने आई है।  सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के एक प्रमुख व्यापारी बिलाल के साथ उनके व्यापारिक संबंध थे, जो इस संघर्ष विराम समझौते के पीछे एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभरे।  बिलाल ने ट्रंप के परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर पाकिस्तान और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के प्रयास किए थे।  उनकी गतिविधियों ने इस संघर्ष विराम समझौते को संभव बनाने में एक अहम भूमिका निभाई।

हालांकि, इस समझौते की वैधता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए हैं।  विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता अस्थायी था और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान की आवश्यकता है।  भारत ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई उसके संप्रभु अधिकार हैं, और किसी भी बाहरी दबाव के बावजूद वह अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करेगा। 

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