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Up Kiran, Digital Desk: एक शांत सुबह जब क्रिकेट की दुनिया जेम्स एंडरसन के ऐतिहासिक करियर को सलाम कर रही थी तब किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके रिटायरमेंट के पीछे एक अधूरी कहानी छिपी है एक ऐसी कहानी जिसमें अलविदा कहना खुद एंडरसन की इच्छा नहीं थी।

21 साल तक क्रिकेट की पिच पर तेज़ हवा की तरह दौड़ते हुए विरोधियों के हौसले तोड़ने वाले इस अंग्रेज़ गेंदबाज़ ने जब रिटायरमेंट की घोषणा की तो हर आंख नम थी और हर जुबान पर बस एक ही नाम था "जिमी एंडरसन"। मगर अब खुद एंडरसन ने पर्दा उठाया है उस सच्चाई से जो क्रिकेट प्रेमियों को झकझोर देने के लिए काफी है।

रिटायरमेंट या मजबूरी,  एंडरसन का छलका दर्द

द इंडिपेंडेंट को दिए एक साक्षात्कार में एंडरसन ने कहा "मैं अब भी इस फैसले को लेकर उलझन में हूं। ये मेरे हाथ में नहीं था। उन्होंने (टीम मैनेजमेंट) मुझे टीम से हटाने का फैसला किया। उस पल को बयां करना मुश्किल है it broke my heart."

यह महज़ एक औपचारिक विदाई नहीं थी बल्कि एक खिलाड़ी की उस यात्रा का अचानक अंत था जो अभी अधूरी थी। एंडरसन ने बताया कि वो अगले डेढ़ साल तक खुद को टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार मान रहे थे। उनके शब्दों में एक अदृश्य टीस थी “मैं खेलने के लिए अब भी उतना ही उत्साहित हूं जितना अपने शुरुआती दिनों में था।”

वो गोल्फ कोर्स और एक फैसला

मई 2024 में एक ख़बर ने हलचल मचा दी थी। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड टीम के कोच ब्रैंडन मैक्कलम ने एंडरसन से एक गोल्फ टूर के दौरान मुलाक़ात की थी। वो मुलाकात एक दोस्ताना खेल नहीं बल्कि एक करियर का टर्निंग पॉइंट बन गई। मैक्कलम ने टीम के भविष्य को देखते हुए एंडरसन को संन्यास लेने का सुझाव दिया। यह सुझाव एंडरसन के लिए एक अप्रत्याशित निर्णय का संकेत बन गया।

गोल्फ के मैदान में दी गई सलाह जिसने एंडरसन जैसे दिग्गज को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वो अब टीम का हिस्सा नहीं हैं। क्या अनुभव और समर्पण अब युवाओं के लिए रास्ता छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया।

एंडरसन की आंखों में आज भी खेलने की चमक है लेकिन उनके शब्दों में थकावट नहीं, बल्कि अस्वीकृति का एहसास है। रिटायरमेंट उनके लिए एक उत्सव नहीं, बल्कि एक अधूरी पटकथा की तरह है एक ऐसी स्क्रिप्ट जिसमें आखिरी पंक्तियाँ उन्होंने नहीं लिखीं।

 

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