Mohini Avatar: विष्णु जी के मोहिनी रूप ने तीनों लोकों को अपनी खूबसूरती से मंत्रमुग्ध कर दिया था। समुद्र मंथन के दौरान दैत्य और देवता अमृत कलश के लिए एक-दूसरे से छीनाझपटी कर रहे थे, तभी मोहिनी रूप की एक परम सुंदरी प्रकट हुई। उसकी दिव्य सुंदरता से सभी—दैत्य और देवता—मोहित हो गए। इस रूप की इतनी प्रभावशाली छवि थी कि स्वयं भोलेनाथ भी उसकी मोहिनी छवि से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
भोलेनाथ ने जब विष्णु के मोहिनी रूप के बारे में सुना, तो उन्होंने बैकुंठ धाम जाकर भगवान विष्णु की स्तुति की और मोहिनी रूप की दर्शनीयता का अनुरोध किया। इसके बाद भोलेनाथ ने देखा कि वे एक फूलों से भरे उपवन में हैं, जहां एक स्त्री सुंदर परिधान में क्रीड़ा कर रही है। जैसे ही उस स्त्री ने अपनी तिरछी नजरों से भोलेनाथ की ओर देखा, भोले शंकर पूरी तरह से व्याकुल हो गए।
शंकर जी ने मोहिनी के प्रति इस प्रकार की कामुकता दिखाते हुए, उसे पकड़ने के लिए दौड़ना शुरू कर दिया, यहां तक कि उन्होंने अपनी पत्नी माता पार्वती को भी भूल गए। मोहिनी ने भोलेनाथ की पकड़ से अपने बाल छुड़वाए और वहां से चली गई। भोलेनाथ मोहिनी के पीछे-पीछे दौड़ते रहे, और इस दौरान पृथ्वी पर भोलेनाथ का वीर्य गिर पड़ा। इस वीर्य से सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ, जिसे बाद में अयप्पा के नाम से जाना गया।
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