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Up Kiran, Digital Desk: ऋषिकेश में एक बेमिसाल दोस्ती के चलते हुई घातक घटना ने सबको चौंका दिया। कबूतरबाजी के शौक में दो दोस्तों के बीच ऐसी रार हुई कि एक दोस्त ने दूसरे को मौत के घाट उतार दिया। अक्षय ठाकुर ने अजेंद्र कंडारी को घर से बुलाकर 32 बार चाकू घोंपकर हत्या कर दी। यह वारदात शराब की दुकान के पास हुई, जो पहले भी कई गंभीर आपराधिक घटनाओं का गवाह बन चुकी है।

दोस्ती की गलती: अक्षय ने क्यों किया अजेंद्र का कत्ल?

अक्षय ठाकुर और अजेंद्र कंडारी के बीच कुछ समय से कबूतरबाजी को लेकर मनमुटाव चल रहा था। दोनों के बीच पुरानी दोस्ती थी, लेकिन एक छोटी सी बात ने यह घटना घटी। अक्षय ने अजेंद्र को मयाकुंड स्थित एक निजी अस्पताल के पास बुलाया, जहां उसे बेरहमी से चाकुओं से गोद दिया। अस्पताल में भी अजेंद्र की हालत गंभीर थी, लेकिन अक्षय वहां से भाग गया जब उसके परिवार वाले पहुंचे।

बिना किसी हस्तक्षेप के हत्या!

इस हत्या के समय घटनास्थल पर कई लोग मौजूद थे, लेकिन कोई भी इस वारदात को रोकने के लिए आगे नहीं आया। अजेंद्र को गंभीर रूप से घायल करने के बाद आरोपी अस्पताल छोड़कर फरार हो गया। अजेंद्र के पिता रायचंद कंडारी ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, "मेरा बेटा दिव्यांग था, फिर भी उसे इस तरह मौत के घाट उतार दिया गया, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।"

शराब की दुकान का काले इतिहास!

नीलम बिजल्वाण, नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि शराब की दुकान के आसपास यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी चार गंभीर आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं। मुनिकीरेती में ही मई में कैफे संचालक नितिन देव की हत्या हुई थी। इसी तरह, अप्रैल में ढालवाला में तैनात अमीन कमलेश भट्ट की भी हत्या की गई थी।

नीलम बिजल्वाण ने यह भी बताया कि खारास्रोत में स्थित शराब की दुकान के लिए किसी प्रकार की एनओसी (No Objection Certificate) नहीं दी गई थी। इसके बावजूद दुकान चल रही है, और वह इसे किसी भी हाल में वहां चलने नहीं देंगी।

दुख में डूबे परिवार वाले: मां और बहन की चीखें

अजेंद्र की हत्या के बाद उसके परिवार में कोहराम मच गया। उसकी मां विमला देवी और बहन किरन चौहान इस दुःख में डूबकर सड़कों पर रो रही थीं। विमला देवी ने बेटे को खोने के गम में दहाड़े मारे, और आसपास के लोग भी इस घटना से शोक में थे। अजेंद्र की एक साल का बेटा भी है, जो अब अपने पिता की मौत का सदमा सहन कर रहा है।

आखिर क्यों नहीं रुकी यह वारदात? पुलिस की भूमिका पर सवाल

अजेंद्र के परिवार ने यह भी सवाल उठाया कि जब इतनी बड़ी वारदात हो रही थी, तो पुलिस क्यों नहीं आई। आसपास के लोग चुपचाप देख रहे थे, जबकि कोई भी बीचबचाव के लिए सामने नहीं आया। इस घटना ने पुलिस प्रशासन और समाज को एक बड़ी चुनौती दी है कि कैसे वे अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा सकते हैं।