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मिस्र और चीन के बीच शुरू हुए युद्धाभ्यास ‘ईगल ऑफ सिविलाइजेशन 2025’ ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है। इस अभ्यास में मिस्र ने भारत के साथ अपनी दोस्ती को किनारे रखते हुए रूस निर्मित मिग-29 फाइटर जेट को उतार दिया—वही जेट, जो भारतीय वायुसेना और नौसेना की रीढ़ है। विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम से चीन को भारतीय मिग-29 की ताकत और कमजोरियों का पता चल सकता है, जो भविष्य में भारत के लिए रणनीतिक खतरा बन सकता है। तो क्या मिस्र ने भारत को धोखा दिया है? आईये जानते हैं विस्तार से
मिग-29 का इस्तेमाल: भारत के लिए खतरे की घंटी?
मिस्र की वायुसेना के पास अमेरिकी F-16 और फ्रांसीसी राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स हैं, लेकिन उसने चीन के साथ इस युद्धाभ्यास में मिग-29M/M2 को चुना। यह वही फाइटर जेट है, जिसका अपग्रेडेड वर्जन मिग-29UPG भारतीय वायुसेना और नौसेना इस्तेमाल करती है। विश्लेषकों का कहना है कि दोनों जेट्स की क्षमताएं लगभग एक जैसी हैं।
चीन की चाल: मिग-29 से जे-10 तक
चीन ने इस युद्धाभ्यास में अपने जे-10सी फाइटर जेट को उतारा है, जिसे उसने पाकिस्तान को बेचा है और अब वह इसे खाड़ी देशों और अफ्रीका में बेचने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा, चीन ने Y-20U रिफ्यूलर और KJ-500 AWACS विमानों को भी शामिल किया है, जो उसकी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करता है। 6000 किलोमीटर की दूरी तय करके इतने सारे विमान और सैनिक भेजना चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है।
वॉर जोन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन इस अभ्यास के जरिए मिग-29 जैसे रूसी फाइटर जेट्स से जंग लड़ने की ट्रेनिंग लेना चाहता है। साथ ही, वह मिस्र को जे-10सी बेचने की कोशिश में है।