img

Up Kiran, Digital Desk: 72वीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले हैदराबाद में हुआ और पहली बार थाईलैंड की सुंदरी ओपल सुचाता चुआंग्सरी ने ये नामी खिताब अपने नाम किया। इस शो में भारत की नंदिनी गुप्ता टॉप 8 में भी जगह नहीं बना पाईं, वहीं मिस इथियोपिया दूसरे और मिस पोलैंड तीसरे स्थान पर रहीं।

यह खबर जितनी थाईलैंड के लिए गर्व की बात है, उतनी ही भारत के लिए भी दिलचस्प है और वो इसलिए, क्योंकि थाईलैंड और भारत के बीच एक ऐसा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ता है जो हजारों साल पुराना है। तो आइएआज इस मौके पर हम जानते हैं कि इस थाईलैंड को आखिर भारत से क्या क्या मिला।

थाईलैंड और भारत में रिश्तों की जड़ें बहुत मजबूत

भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया खासकर थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध दो हजार साल से भी अधिक पुराने हैं। प्राचीन संस्कृत और पाली ग्रंथों में दक्षिण-पूर्व एशिया को 'सुवर्णभूमि' और 'सुवर्णद्वीप' जैसे नामों से पुकारा गया है  यानी ‘सोने की भूमि’। इसका कारण था इस क्षेत्र में व्यापार खासकर मसालों, लकड़ियों और सोने की भरपूर उपलब्धता।

भारतीय व्यापारी और संस्कृति के दूत

पुराने समय में जब समुद्री व्यापार फलफूल रहा था, तब भारतीय व्यापारी सिर्फ सामान ही नहीं अपनी संस्कृति, धर्म, भाषा और दर्शन भी साथ ले जाते थे। उनके साथ ब्राह्मण, बौद्ध भिक्षु और विद्वान भी जाते थे, जिन्होंने स्थानीय समाजों को गहराई से प्रभावित किया।

इतिहासकार कर्मवीर सिंह के शोध के अनुसार, भारत से थाईलैंड तक सांस्कृतिक प्रसार का ये सिलसिला बहुत व्यवस्थित था  जिसमें व्यापार मार्गों के साथ-साथ बौद्ध धर्म और रामायण जैसी कहानियों ने एक सेतु का काम किया।

थाईलैंड में बौद्ध धर्म और भारतीय प्रभाव

13वीं शताब्दी में सुखोथाई वंश के शासन के साथ ही थाईलैंड में बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण मिला। ये धर्म भारत से ही थाईलैंड पहुंचा था और वहां की संस्कृति का हिस्सा बन गया। बौद्ध मंदिर, ध्यान केंद्र और धार्मिक परंपराएं आज भी इस विरासत की गवाही देते हैं।

यहां तक कि थाईलैंड की प्रसिद्ध रामकथा "रामाकियन" भारतीय "रामायण" पर आधारित है। थाई राजवंश चक्री के संस्थापक पुत्थयोत्फा चालुलोक ने खुद को "राम-1" की उपाधि दी थी  और आज भी वहां के सम्राटों को राम के नाम से जाना जाता है।

आजादी से अब तक मजबूत रिश्ता

भारत और थाईलैंड के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंध 1947 से हैं, जब भारत स्वतंत्र हुआ। 1993 में भारत ने "लुक ईस्ट" नीति की शुरुआत की जिसे अब "एक्ट ईस्ट" के नाम से जाना जाता है। थाईलैंड भी अपनी "एक्ट वेस्ट" नीति के जरिए भारत से संबंध और मज़बूत कर रहा है।

दोनों देशों के बीच व्यापार भी बढ़ा है  साल 2021-22 में यह लगभग 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच गया। भारत, थाईलैंड को पेट्रोलियम, मशीनरी, दवाएं, ऑटो पार्ट्स, गहने और खाद्य पदार्थों का निर्यात करता है।

इस वजह से थाईलैंड जाना पसंद करते हैं भारतीय

सांस्कृतिक संबंधों के साथ-साथ पर्यटन भी इन दोनों देशों को करीब लाने का काम कर रहा है। 2023 में सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक मलेशिया, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद थाईलैंड ही गए। इसकी एक बड़ी वजह है  सस्ता, नज़दीक और खूबसूरत होना।

बैंकॉक की दूरी दिल्ली से महज 4-5 घंटे की है। वहां के मंदिर, समुद्र तट और खानपान भारतीयों को बेहद आकर्षित करते हैं। इतना ही नहीं, थाईलैंड के कई मंदिरों में आपको भारत जैसी पूजा-पद्धतियां और देवी-देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलेंगी।

थाईलैंड की ओपल सुचाता का मिस वर्ल्ड बनना सिर्फ एक ताज की जीत नहीं है। यह एक प्रतीक है  दो देशों के बीच के उन रिश्तों का, जो वक्त की कसौटी पर खरे उतरे हैं। जब कोई दक्षिण-पूर्व एशियाई देश वैश्विक मंच पर चमकता है तो उसमें भारत की छाया भी झलकती है  चाहे वो बौद्ध धर्म हो, रामायण हो या सांस्कृतिक मेलजोल।

 

--Advertisement--